1. परदा रहती पदुमिनी, करती कुल की कान | घड़ी जु पहुँची काल की, छोड़ भई मैदान ||

  2. मछरी यह छोड़ी नहीं, धीमर तेरो काल | जिहि जिहि डाबर धर करो, तहँ तहँ मेले जाल ||

  3. मूरख शब्द न मानई, धर्म न सुनै विचार | सत्य शब्द नहिं खोजई, जावै जम के द्वार ||

  4. राज पाट धन पायके, क्यों करता अभिमान | पड़ोसी की जो दशा, भई सो अपनी जान ||

  5. समुझाये समुझे नहीं, धरे बहुत अभिमान | गुरु का शब्द उछेद है, कहत सकल हम जान ||

  6. एक बून्द के कारने, रोता सब संसार | अनेक बून्द खाली गये, तिनका नहीं विचार ||

  7. मरूँ- मरूँ सब कोइ कहै, मेरी मरै बलाय | मरना था तो मरि चुका, अब को मरने जाय ||

  8. मन मुवा माया मुई, संशय मुवा शरीर | अविनाशी जो न मरे, तो क्यों मरे कबीर ||

  9. नर नारायन रूप है, तू मति समझे देह | जो समझै तो समझ ले, खलक पलक में खोह ||

  10. चेत सवेरे बाचरे, फिर पाछे पछिताय | तोको जाना दूर है, कहैं कबीर बुझाय ||

  11. काल जीव को ग्रासई, बहुत कह्यो समुझाय | कहैं कबीर में क्या करूँ, कोई नहीं पतियाय ||

  12. झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद | जगत् चबैना काल का, कछु मूठी कछु गोद ||

  13. जोबन मिकदारी तजी, चली निशान बजाय | सिर पर सेत सिरायचा दिया बुढ़ापै आय ||

  14. ज्ञानी होय सो मानही, बूझै शब्द हमार | कहैं कबीर सो बाँचि है, और सकल जमधार ||

  15. आँखि न देखे बावरा, शब्द सुनै नहिं कान | सिर के केस उज्ज्वल भये, अबहु निपट अजान ||

  16. कबीर टुक-टुक चोंगता, पल-पल गयी बिहाय | जिव जंजाले पड़ि रहा, दियरा दममा आय ||

  17. क्यों खोवे नरतन वृथा, परि विषयन के साथ | पाँच कुल्हाड़ी मारही, मूरख अपने हाथ ||

  18. कबीर गाफिल क्यों फिरै क्या सोता घनघोर | तेरे सिराने जम खड़ा, ज्यूँ अँधियारे चोर ||

  19. यह जीव आया दूर ते, जाना है बहु दूर | बिच के बासे बसि गया, काल रहा सिर पूर ||

  20. बिरिया बीती बल घटा, केश पलटि भये और | बिगरा काज सँभारि ले, करि छूटने की ठौर ||

  21. कुशल-कुशल जो पूछता, जग में रहा न कोय | जरा मुई न भय मुवा, कुशल कहाँ ते होय ||

  22. जो उगाई तो आठवई, फुलाई सो कुम्हिलया। जो चुने सो धी पड़ई, जानेमे सो मारी जय ||

  23. निश्चय काल गरासही, बहुत कहा समुझाय | कहैं कबीर मैं का कहूँ, देखत न पतियाय ||

  24. जरा श्वान जोबन ससा, काल अहेरी नित्त | दो बैरी बिच झोंपड़ा कुशल कहाँ सो मित्र ||

  25. हम जाने थे खायेंगे, बहुत जिमि बहु माल | ज्यों का त्यों ही रहि गया, पकरि ले गया काल ||

  26. चहुँ दिसि ठाढ़े सूरमा, हाथ लिये हाथियार | सबही यह तन देखता, काल ले गया मात ||

  27. चहुं दी पाका कोट था, मंदिर नगर मजहर | खिरकी खिरकी पहाड़ू, गज बंदा दरबार।

  28. काची काया मन अथिर, थिर थिर कर्म करन्त | ज्यों-ज्यों नर निधड़क फिरै, त्यों-त्यों काल हसन्त ||

  29. आस पास जोधा खड़े, सबै बजावै गाल | मंझ महल से ले चला, ऐसा परबल काल ||

  30. धरती करते एक पग, समुंद्र करते फाल | हाथों परबत लौलते, ते भी खाये काल ||

  31. कबीर पगरा दूर है, बीच पड़ी है रात | न जानों क्या होयेगा, ऊगन्ता परभात ||

  32. कबीर मन्दिर आपने, नित उठि करता आल | मरहट देखी डरपता, चौडढ़े दीया डाल ||

  33. घाट जगाती धर्मराय, गुरुमुख ले पहिचान | छाप बिना गुरु नाम के, साकट रहा निदान ||

  34. खुलि खेलो संसार में, बाँधि न सक्कै कोय | घाट जगाती क्या करै, सिर पर पोट न होय ||

  35. ताजी छूटा शहर ते, कसबे पड़ी पुकार | दरवाजा जड़ा ही रहा, निकस गया असवार ||

  36. बलपना भोले गया, और जुवा महामंत | वृद्धापन अलस गया, चला जराते चींटी ||

  37. संसै काल शरीर में, विषम काल है दूर | जाको कोई जाने नहीं, जारि करै सब धूर ||

  38. बेटा जाये क्या हुआ, कहा बजावै थाल | आवन-जावन होय रहा, ज्यों कीड़ी का नाल ||

  39. हाथी परबत फाड़ते, समुन्दर छूट भराय | ते मुनिवर धरती गले, का कोई गरब कराय ||

  40. सब जग डरपै काल सों, ब्रह्मा, विष्णु महेश | सुर नर मुनि औ लोक सब, सात रसातल सेस||

  41. फागुन आवत देखि के, मन झूरे बनराय | जिन डाली हम केलि, सो ही ब्योरे जाय ||

  42. पात झरन्ता देखि के, हँसती कूपलियाँ | हम चाले तु मचालिहौं, धीरी बापलियाँ ||

  43. काल पाय जब ऊपजो, काल पाय सब जाय | काल पाय सबि बिनिश है, काल काल कहँ खाय ||

  44. जारि बारि मिस्सी करे, मिस्सी करि है छार | कहैं कबीर कोइला करै, फिर दै दै औतार ||

  45. ऐसे साँच न मानई, तिलकी देखो जाय | जारि बारि कोयला करे, जमते देखा सोय ||

  46. मूस्या डरपैं काल सों, कठिन काल को जोर | स्वर्ग भूमि पाताल में जहाँ जावँ तहँ गोर ||

  47. संसै काल शरीर में, जारि करै सब धूरि | काल से बांचे दास जन जिन पै द्दाल हुजूर ||

  48. काल काल सब कोई कहै, काल न चीन्है कोय | जेती मन की कल्पना, काल कहवै सोय ||

  49. काल फिरे सिर ऊपरै, हाथों धरी कमान | कहैं कबीर गहु ज्ञान को, छोड़ सकल अभिमान ||

  50. जाय झरोखे सोवता, फूलन सेज बिछाय | सो अब कहँ दीसै नहीं, छिन में गयो बोलाय ||

  51. कबीरा पगरा दूरि है, आय पहुँची साँझ | जन-जन को मन राखता, वेश्या रहि गयी बाँझ ||

  52. दया कौन पर कीजिये, का पर निर्दय होय | सांई के सब जीव है, कीरी कुंजर दोय ||

  53. मित्रता कभी भी अवसर नहीं अपितु हमेशा एक मधुर उत्तरदायित्व होती है।

  54. में मरने को तैयार हूँ लेकिन ऐसी कोई वजह नहीं जिसके लिए में मारने को तैयार हूँ।

  55. एकता के बिना जनशक्ति, शक्ति नहीं है। जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए।

  56. चिंता एक ऐसी हथौड़ी है जो मष्तिष्क के सूक्ष्म व सुकोमल सूत्रों को विघटित कर उसकी कार्य करने की शक्ति को नष्ट कर देती है।

  57. किसी की बेबसी पर मत हंसो ये वक़्त तुम पर भी आ सकता है

  58. यह एक रणक्षेत्र है, मेरा शरीर, जिसने बहुत कुछ सहा है।

  59. मैं कभी एक सुपरस्टार नहीं रहा और कभी इसमें यकीन नहीं किया।

  60. आविष्कार करने के लिए, आपको एक अच्छी कल्पना और कबाड़ के ढेर की जरूरत होती है।

  61. ज्यादातर लोग अवसर गँवा देते हैं क्योंकि ये चौग़ा पहने हुए होता है और काम जैसा दिखता है।

  62. जब मैं अपनी गलती के बारे में सोचता हूँ या उसे फिर से देखता हूँ तो शर्मिंदगी महसूस होती है। मुझे लगता है कि मैं एक बेकार अभिनेता हूँ।

  63. मैं यह नहीं कहूँगा कि मैं 1000 बार असफल हुआ, मैं यह कहूँगा कि ऐसे 1000 रास्ते हैं जो आपको सफलता से दूर ले जाते हैं।

  64. जीवन में अनेक विफलताएं केवल इसलिए होती हैं क्योंकि लोगों को यह आभास नहीं होता है कि जब उन्होंने प्रयास बन्द कर दिए तो उस समय वह सफलता के कितने क़रीब थे।

  65. दासीनता सबसे खतरनाक बीमारी है जो लोगों को प्रभावित कर सकती है।

  66. मनुवाद को जड़ से समाप्त करना मेरे जीवन का प्रथम लक्ष्य है।

  67. मन का संवर्धन मानव अस्तित्व का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए।

  68. न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।

  69. देश के विकास से पहले हमें अपनी बुद्धि के विकास की आवश्यकता है।

  70. स्वास्थ्य के संबंध में, पुस्तकों पर भरोसा न करें। छपाई की एक गलती जानलेवा भी हो सकती है।

  71. जब कीमतों पर शुक्र अदा किया जाए तो वह कभी ख़त्म नही होती ।

  72. हमेशा जालिमों का दुश्मन और मजलूमों का मददगार बन कर रहना।

  73. दुनिया अमल की जगह है, मौत के बाद हमको और तुम्हे पता चलेगा ।

  74. जाहिल के सामने अक़्ल की बात मत करो पहले वो बहस करेगा फिर अपनी हार देखकर दुश्मन हो जायेगा।

  75. एक ज़माना ऐसा भी आएगा कि लोग अपने रब को भुल जाएंगे,लिबास बहुत क़ीमती पहन कर बज़ार में अकड़ कर चलेंगे और इस बात से बेखबर होंगे के उसी बाज़ार में उन का कफन मौजूद है ।

  76. कभी भी अपनी जिस्मानी ताकत और दौलत पर भरोसा न करना क्युँकि बीमारी और ग़रीबी आने में देर नही लगती।

  77. ज़िल्लत उठाने से बेहतर है तकलीफ उठाओ।

  78. इंसान की ज़ुबान उसकी अक्ल का पता देती है और आदमी अपनी ज़ुबान के नीचे छुपा होता है।

  79. तुम्हारे नफ्स की कीमत जन्नत है, इसे जन्नत से कम कीमत पे ना बेचना।

  80. इंसान मायूस और परेशान इसलिए होता है, क्योंकि वो अपने रब को राज़ी करने के बजाये लोगों को राज़ी करने में लगा रहता है।

  81. गरीब वो है जिसका कोई दोस्त न हो।

  82. रिज्क के पीछे अपना इमान कभी खराब मत करो, क्योंकि नसीब का रीज़क इन्सान को ऐसे तलाश करता है जैसे मरने वाले को मौत।

  83. इन्सान का अपने दुश्मन से इन्तकाम का सबसे अच्छा तरीका ये है कि वो अपनी खूबियों में इज़ाफा कर दे !!

  84. दोस्तों के ग़म में शामिल हुवा करो हर हाल में लेकिन खुशियों में तब तक न जाना जब तक वो खुद ना बुलाये।

  85. अगर दोस्त बनाना तुम्हारी कमज़ोरी है, तो तुम दुनिया के सबसे ताक़तवर इंसान हो।

  86. इख़्तियार ,ताक़त और दौलत ऐसी चीजें हैं जिनके मिलने से लोग बदलते नहीं हैं।

  87. कभी तुम दुसरों के लिए दिल से दुवा मांग कर देखो, तुम्हें अपने लिए मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

  88. जो इंसान सजदो मे रोता है। उसे तक़दीर पर रोना नहीं पड़ता।

  89. नमाज़ की फ़िक्र अपने ऊपर फ़र्ज़ करलो..!! खुदा की कसम दुनिया की फ़िक्र से आज़ाद हो जाओगे,और क़ामयाबी तुम्हारे क़दम चूमेंगी।

  90. नेक लोगों की सोहबत से हमेशा भलाई ही मिलती है, क्यों कि, हवा जब फूलो से गुज़रती है तो वो भी खुश्बुदार हो जाती है !

  91. अपने जिस्म को ज़रूरत से ज़्यादा न सवारों,क्योंकि इसे तो मिट्टी में मिल जाना है, सवॉरना है तो अपनी रूह को सवॉरों क्योंकि इसे तुम्हारे रब के पास जाना है।

  92. अगर कोई शख्स अपनी भूख मिटाने के लिए रोटी चोरी करे तो चोर के हाथ काटने के बजाए बादशाह के हाँथ काटे जाए।

  93. जो लोग सिर्फ तुम्हे काम के वक़्त याद करते हे उन लोगो के काम ज़रूर आओ क्यों के वो अंधेरो में रौशनी ढूँढ़ते हे और वो रौशनी तुम हो

  94. हमेशा समझोता करना सीखो क्यूंकि थोडा सा झुक जाना किसी रिश्ते का हमेशा के लिए टूट जाने से बेहतर है।

  95. मानव अपनी सोच की आंतरिक प्रवृति को बदलकर अपने जीवन के बाह्य पहलूओं को बदल सकता है।

  96. भविष्य उन लोगों का है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास करते हैं।

  97. महान लोग आईडिया पर बात करते हैं, साधारण लोग रोजमर्रा घटनाक्रम की बात करते हैं, और निम्न स्तर के लोग दूसरों के बारे में बात करते हैं।

  98. जब भी मैं उदास महसूस करती हूं तो मैं काम में व्यस्त हो जाती हूं, काम में व्यस्तता उदासी की उत्तम दवाई है।

  99. आपको ये चीजें करनी चाहिए जो आपको लगता है कि आप नहीं कर सकते।

  100. हर नए दिन के साथ नई ताकत और नए विचार आते हैं।

  101. आप हर अनुभव से ताकत, साहस और आत्मविश्वास हासिल करते हैं, जिसमें आप वास्तव में डर पर विजय प्राप्त कर लेते हैं।

  102. यदि आप एक खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं, तो इसे एक लक्ष्य से बांधें, लोगों या चीजों से नहीं।

  103. आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जीने में बर्बाद न करें। हठधर्मिता में मत फंसो – जो अन्य लोगों की सोच के परिणामों के साथ जी रहे है।

  104. कई ऐसे असफल लोग हैं जिन्हें यह एहसास नहीं था कि जब उन्होंने जीवन की हार मान ली तो वे सफलता के कितने करीब थे।

  105. आप केवल एक बार जीते हैं, लेकिन अगर आप इसे सही प्रकार से जीते है तो एक बार ही बहुत है।

  106. हमारे जीवन का उद्देश्य खुश रहना है।

  107. अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।

  108. निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।

  109. हमारे संविधान में मत का अधिकार एक ऐसी ताकत है जो कि किसी ब्रह्मास्त्र से कही अधिक ताकत रखता है।

  110. इतिहास गवाह है जब नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष हुआ है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है।

  111. शिक्षा वो शेरनी है। जो इसका दूध पिएगा वो दहाड़ेगा।

  112. धर्म पर आधारित मूल विचार व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिए एक वातावरण बनाना है।

  113. एक सुरक्षित सेना एक सुरक्षित सीमा से बेहतर है।

  114. आप स्वाद को बदल सकते हैं परन्तु जहर को अमृत में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

  115. भाग्य से ज्यादा अपने आप पर विश्वास करो। भाग्य में विश्वास रखने के बजाय शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए।

  116. मेरी प्रशंसा और जय-जय कार करने से अच्छा है, मेरे दिखाये गए मार्ग पर चलो।

  117. हो सकता है कि समानता एक कल्पना हो, पर विकास के लिए यह ज़रूरी है।

  118. मैं राजनीतिक सुख भोगने नहीं बल्कि नीचे दबे हुए अपने भाईओं को अधिकार दिलाने आया हूँ।

  119. धर्म मनुष्य के लिए बना है न कि मनुष्य धर्म के लिए।

  120. यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं, तो सभी धर्मों के धर्मग्रंथों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।

  121. जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।

  122. क़ानून और व्यवस्था, राजनीतिक शरीर की दवा है। जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए।

  123. जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।

  124. अच्छा दिखने के लिए नहीं, बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ।

  125. संवैधानिक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं हैं जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते।

  126. जो झुक सकता है वो झुका भी सकता है।

  127. संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है बल्कि यह जीवन जीने का एक माध्यम है।

  128. यदि हम आधुनिक विकसित भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों को एक होना पड़ेगा।

  129. शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो।

  130. कुछ लोग सोचते हैं कि धर्म समाज के लिए आवश्यक नहीं है। मैं यह दृष्टिकोण नहीं रखता। मैं धर्म की नींव को समाज के जीवन और प्रथाओं के लिए आवश्यक मानता हूं।

  131. शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी पुरुषों के लिए।

  132. स्वतंत्रता का अर्थ साहस है, और साहस एक पार्टी में व्यक्तियों के संयोजन से पैदा होता है।

  133. अगर मुझे लगा कि मेरे द्वारा बनाये गए संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो सबसे पहले मैं इसे जलाऊंगा।

  134. यदि आप मन से स्वतंत्र हैं तभी आप वास्तव में स्वतंत्र हैं।

  135. एक सफल क्रांति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि असंतोष हो। जो आवश्यक है वह है न्याय, आवश्यकता, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के महत्व पर गहन और गहन विश्वास।

  136. जो कौम अपना इतिहास नही जानती है, वह कौम कभी अपना इतिहास नही बना सकती है।

  137. राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्ल या रंग का अन्तर भुलाकर उनमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये।

  138. जो धर्म स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है, वही सच्चा धर्म है।

  139. एक संविधान चाहे जितना बुरा हो, वह अच्छा साबित हो सकता है, यदि उसका पालन करने वाले लोग अच्छे हों।

  140. मैं समझता हूं कि कोई संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह बुरा साबित हो सकता है, यदि उसका अनुसरण करने वाले लोग बुरे हों।

  141. समाज को बदनाम करने वाले सुधारक सरकार को नकारने वाले राजनेता की तुलना में अधिक अच्छे व्यक्ति हैं।

  142. राजनीतिक अत्याचार, सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं है।

  143. पानी की बूंद जब सागर में मिलती है तो अपनी पहचान खो देती है। इसके विपरीत व्यक्ति समाज में रहता है पर अपनी पहचान नहीं खोता। इंसान का जीवन स्वतंत्र है। वो सिर्फ समाज के विकास के लिए पैदा नहीं हुआ बल्कि स्वयं के विकास के लिए भी पैदा हुआ है।

  144. वर्गहीन समाज गढ़ने से पहले समाज को जातिविहीन करना होगा।

  145. महात्मा आये और चले गये। परन्तु अछुत, अछुत ही बने हुए हैं।

  146. मैं बहुत मुश्किल से इस कारवां को इस स्थिति तक लाया हूं। यदि मेरे लोग, मेरे सेनापति इस कारवां को आगे नहीं ले जा सकें, तो पीछे भी मत जाने देना।

  147. छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है।

  148. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।

  149. एक विचार को प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितना कि एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मर जायेंगे।

  150. राजनीति में हिस्सा ना लेने का सबसे बड़ा दंड यह है कि अयोग्य व्यक्ति आप पर शासन करने लगता है।

  151. हम सिर्फ खुद के लिए ही नहीं, बल्कि पुरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।

  152. हमारे देश की अनोखी बात यह है कि हमारे यहाँ हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हमारे यहाँ मंदिर और मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च हैं। लेकिन हम यह सब राजनीति में नहीं लाते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच यही अंतर है।

  153. उसकी जाति, रंग या नस्ल जो भी हो, हम एक व्यक्ति के रूप में मनुष्य की गरिमा में और उसके बेहतर, संपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए उसके अधिकार पर विश्वास करते हैं।

  154. हर राष्ट्र के जीवन में एक समय आता है जब वह इतिहास के क्रॉस-रोड पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि किस रास्ते पर जाना है। लेकिन हमारे लिए कोई कठिनाई या झिझक की आवश्यकता नहीं है, कोई दाईं या बाईं ओर नहीं है। हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है – सभी के लिए स्वतंत्रता और समृद्धि के साथ-साथ एक समाजवादी लोकतंत्र का निर्माण, और विश्व के सभी देशों के साथ शांति और दोस्ती।

  155. हम उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के अंत के लिए पूर्ण समर्थन देना अपना नैतिक कर्तव्य समझेंगे, ताकि हर जगह लोग अपने भाग्यनिर्माण के लिए स्वतंत्र हों।

  156. हम सभी को अपने – अपने क्षेत्रों में उसी समर्पण, उसी उत्साह और उसी संकल्प तथा उसी भावना के साथ काम करना होगा जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है। और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है।

  157. देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बिमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।

  158. मैं हमेशा अपने मन में दूसरों को ऐसी सलाह देने में असहज महसूस करता रहा हूँ, जिस पर मैं खुद अमल नहीं कर रहा होता।

  159. मेरे दिमाग में यह बात आती है कि सर्वप्रथम उन लोगों को राहत दी जाए । हर रोज हर समय मैं यही सोचता हूं कि उन्हे किस प्रकार से राहत पहुंचाई जाए।

  160. मुझे ग्रामीण क्षेत्रों में एक मामूली कार्यकर्ता के रूप में लगभग पचास वर्ष तक कार्य करना पड़ा है, इसलिए मेरा ध्यान स्वत: ही उन लोगों की ओर तथा उन क्षेत्रों के हालात पर चला जाता है।

  161. मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ सके।

  162. हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है। अपने देश में सबके लिए स्वतंत्रता और संपन्नता के साथ समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना और अन्य सभी देशों के साथ विश्व शांति और मित्रता का संबंध रखना।

  163. आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन ‘ गरीबी ‘ और ‘ बेरोजगारी ‘ से लड़ सकें।

  164. जो शासन करते हैं, उन्हे देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंततः जनता ही मुखिया होती है।

  165. कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।

  166. हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है। लोगों में एकता स्थापित करना।

  167. हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।

  168. जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्तव्य होता है।

  169. लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।

  170. राष्ट्र धर्म – निरपेक्ष, कल्याण, स्वास्थ्य, संसार, विदेशी संबंधों, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा। लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं, वो सबका निजी मामला है।

  171. यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग – अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा, लेकिन यह मेरा निजी मामला है राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है।

  172. अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत होती है।

  173. हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।

  174. दोनों देशों की आम जनता की समस्याएं, आशाएं और आकांक्षाएं एक समान है। उन्हे लड़ाई – झगड़ा और गोला – बारूद नहीं , बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता है।

  175. देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है।

  176. भ्रष्टाचार को पकड़ना बहुत कठिन काम है लेकिन मैं पूरे जोर के साथ कहता हूं कि यदि हम इस समस्या से गंभीरता और दृढ़ संकल्प के साथ नहीं निपटते हैं तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल होंगे।

  177. मैं अपने देश की स्वतंत्रता कुछ इस प्रकार चाहता हूं कि दूसरे देश उससे कुछ सीख सकें और देश के संसाधनों को मानवता के लाभ के लिए प्रयोग में ले सकें।

  178. हम भले ही अपने देश की आजादी चाहते हैं, लेकिन उसके लिए ना ही हम किसी का शोषण करेंगे और ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखाएंगे।

  179. यदि कोई व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा।

  180. आजादी की रक्षा केवल सेनिकों का काम नहीं है। पुरे देश को मजबूत होना होगा।

  181. आर्थिक मामले हमारे लिए सबसे जरुरी है, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन ‘गरीबी’ और ‘बेरोजगारी’ से लड़ सकें।

  182. यदि आपको उत्तर के रूप में No मिलता है, तो याद रखें N.O. का अर्थ है – Next Opportunity। तो, आइए सकारात्मक रहें।

  183. END ही अंत नहीं है। वास्तव में, E.N.D. = Effort Never Ends

  184. यदि आप असफल होते हैं, तो कभी हार न मानें। क्योंकि F.A.I.L. = First Attempt In Learning

  185. आप देखो, ईश्वर केवल उन लोगों की मदद करता है, जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह सिद्धांत बहुत स्पष्ट है।

  186. भगवान, हमारे निर्माता, ने हमारे मस्तिष्क और व्यक्तित्व में असीम शक्तियां और क्षमताएं दी हैं। प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती है।

  187. कृत्रिम सुख की बजाए ठोस उपलब्धियां बनाने के लिए अधिक समर्पित रहें।

  188. दुनिया की लगभग आधी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और ज्यादातर गरीबी की हालत में रहती है। मानव विकास की इन्हीं असमानताओं की वजह से ही कुछ भागों में अशांति और हिंसा जन्म लेती है।

  189. निपुणता एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है यह एक घटना मात्र नहीं है।

  190. रचनात्मकता भविष्य में सफलता की कुंजी है। प्राथमिक शिक्षा ही वह साधन है जो बच्चों में सकारात्मकता लाती है।

  191. आइये, हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल आज से बेहतर हो सके।

  192. किसी भी मिशन की सफलता के लिए, रचनात्मक नेतृत्व अति आवश्यक है।

  193. सपने वो नहीं है जो आप नींद में देखे, सपने वो है जो आपको नींद ही नहीं आने दे।

  194. भ्रष्टाचार जैसी बुराईयां कहां से पनपती हैं? – ये कभी ना खत्म होने वाले लालच से आती हैं। भ्रष्टाचार मुक्त नैतिक समाज के लिए लड़ाई अगर लड़नी है तो इस लालच के खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी होगी।

  195. अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।

  196. मेरे लिए, नकारात्मक अनुभव जैसी कोई चीज नहीं हैं।

  197. विज्ञान मानवता के लिए एक खूबसूरत तोहफा है, हमें इसे बिगाड़ना नहीं चाहिए।

  198. अगर लोग मुझे एक अच्छे शिक्षक के रूप में याद रखते हैं, तो मेरे लिए ये सबसे बड़ा सम्मान होगा।

  199. इससे पहले कि सपने सच हों आपको सपने देखने होंगे।

  200. जब हम बाधाओं का सामना करते हैं तब हम अपने साहस और फिर से खड़े होने की ताकत के छिपे हुए भंडार को खोज पाते हैं।

  201. मुझे पूरा विश्वास है कि जब तक किसी व्यक्ति ने नाकामयाबी की कड़वी गोली ना चखी हो, वह कामयाबी के लिए पर्याप्त महत्वकांक्षा नहीं रख सकता।

  202. जब घर में सामंजस्य होता है, तो देश में एक अच्छी व्यवस्था होती है। जब देश में व्यवस्था होती है, तो दुनिया में शांति होती है।

  203. निश्चित रूप से आपकी आदत ही आपका भविष्य बदल देगी।

  204. जहां हृदय में सच्चाई होती है, वहां घरों में सामंजस्य होता है।

  205. हम अपना भविष्य नहीं बदल सकते लेकिन अपनी आदतें बदली जा सकती हैं।

  206. अपने कार्य में सफल होने के लिए आपको एकाग्रचित्त होकर सिर्फ अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाना होगा।

  207. मनुस्य के लिए कठिनाइयों का होना बहुत जरुरी है कियोंकि कठिनाइयों के बिना सफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता।

  208. असली शिक्षा एक इंसान की गरिमा को बढ़ा देती है और उसके स्वाभिमान में वृद्धि करती है।

  209. एक महान लोकतंत्र में देश की समग्र समृद्धि, शांति और खुशी के लिए हर एक नागरिक की कुशलता, व्यक्तिकता और खुशी आवश्यक है।

  210. शिक्षाविदों को छात्रों के बीच जांच की भावना, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की क्षमता का निर्माण करना चाहिए।

  211. अंततः वास्तविक अर्थों में शिक्षा सत्य की खोज है। यह ज्ञान और आत्मज्ञान से होकर गुजरने वाली एक महत्वपूर्ण और अंतहीन यात्रा है।

  212. जब तक भारत दुनिया के सामने खड़ा नहीं होता, कोई हमारी इज्जत नहीं करेगा।

  213. आइए हम अपने आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का कल आज से बेहतर हो सके।

  214. एक महान शिक्षक बनने के लिए तीन बातें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं – ज्ञान, जुनून और करुणा।

  215. राष्ट्र लोगों से मिलकर बनता है और इन लोगों के प्रयास से ही, कोई राष्ट्र जो कुछ भी पाना चाहता है उसे प्राप्त कर सकता है।

  216. जिंदगी में एक लक्ष्य बनाओ, लगातार ज्ञान प्राप्त करो, कड़ी मेहनत करो और महान जीवन को प्राप्त करने के लिए हमेशा दृढ़-विश्वास रखो।

  217. आप तब तक लड़ना मत छोड़ो जब तक कि आप अपनी तय की हुई जगह पर ना पहुंच जाओ।

  218. जिस दिन हमारे सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जाये मानो हम कामयाब हो गये।

  219. भारत को अपनी परछाई पर चलना चाहिए हमारा खुद का विकास मॉडल होना चाहिए

  220. छोटा लक्ष्य होना अपराध है महान लक्ष्य होना चाहिए

  221. किसी विद्यार्थी की सबसे जरूरी एवम् महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक विशेषता यह है कि प्रश्न पूछना। इसलिए विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए।

  222. इंतजार करने वाले को उतना ही मिलता है, जितना कि कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।

  223. तथ्य तथ्य हैं और आपके नापसंद करने से गायब नहीं हो जायेंगे।

  224. एक नेता या कर्मठ व्यक्ति संकट के समय लगभग हमेशा ही अवचेतन रूप में कार्य करता है और फिर अपने किये गए कार्यों के लिए तर्क सोचता है।

  225. सह- अस्तित्व का केवल एक विकल्प है सह- विनाश।

  226. दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।

  227. लोकतंत्र अच्छा है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि बाकी व्यवस्थाएं और बुरी हैं।

  228. कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरफ निर्देशित होना चाहिए।

  229. लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयं में लक्ष्य नहीं।

  230. हर एक हमलावर राष्ट्र की यह दावा करने की आदत होती है कि वह अपनी रक्षा के लिए कार्य कर रहा है।

  231. हमारे अन्दर सबसे बड़ी कमी यह है कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम।

  232. आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं।

  233. संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है।

  234. असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं।

  235. एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी, भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरुर होता है।

  236. शांति राष्ट्रों का सम्बन्ध नहीं है। यह एक मन: स्थिति है जो आत्मा की निर्मलता से आती है। शांति सिर्फ युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है। यह मन की एक अवस्था है।

  237. संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।

  238. यदि पूंजीवादी समाज की शक्तियों को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो वो अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब बना देंगी।

  239. जो व्यक्ति भागता है वह शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में अधिक खतरे में पड़ जाता है।

  240. अच्छी नैतिक स्थिति में होना कम से कम उतना ही प्रशिक्षण मांगता है जितना कि अच्छी शारीरिक स्थिति में होना।

  241. सालों के बीतने से समय नहीं मापा जाता बल्कि किसी ने क्या किया, क्या महसूस किया, और क्या हासिल किया इससे मापा जाता है।

  242. समाजवाद…ना केवल जीने का तरीका है, बल्कि सामजिक और आर्थिक समस्यों के निवारण के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।

  243. जाहिर है, दक्षता का सबसे अच्छा प्रकार वह है जो मौजूदा सामग्री का अधिकतम लाभ उठा सके।

  244. बहुत अधिक सतर्क रहने की नीति सभी खतरों में सबसे बड़ा खतरा है।

  245. पूर्ण रूप से आन्दोलनकारी रवैया किसी विषय के गहन विचार के लिए ठीक नहीं है।

  246. लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है।

  247. चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है।

  248. जो व्यक्ति सब कुछ पा चुका है वह हर एक चीज शांति और व्यवस्था के पक्ष में चाहता है।

  249. शायद जीवन में डर से बुरा और खतरनाक कुछ भी नहीं है।

  250. संकट और गतिरोध जब होते हैं तो कम से कम उनका एक फायदा होता है कि वे हमें सोचने पर मजबूर करते हैं।

  251. जो पुस्तकें हमें सोचने के लिए विवश करती हैं, वे हमारी सबसे अच्छी सहायक हैं।

  252. सत्य हमेशा सत्य ही रहता हैं चाहे आप पसंद करें या ना करें।

  253. जो व्यक्ति अधिकतर अपने ही गुणों का बखान करता रहता है वो अक्सर सबसे कम गुणी होता है।

  254. बिना शांति के, सभी सपने टूट जाते हैं और राख में मिल जाते हैं।

  255. आप तस्वीर के चेहरे दीवार की तरफ मोड़ के इतिहास का रुख नहीं बदल सकते

  256. हम वास्तविकता में क्या हैं यह अधिक मायने रखता है इस बात से कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं।

  257. जीवन ताश के पत्तों के खेल की तरह है। आपके हाथ में जो है वह नियति है, जिस तरह से आप खेलते हैं वह स्वतंत्र इच्छा है।

  258. जीवन में जितना दुःख भोगना लिखा है उसे तो भोगना ही पड़ेगा तो फिर व्यर्थ में चिंता क्यू करना ?

  259. शारीरिक दुःख से मानसिक दुःख अधिक बुरा होता है।

  260. दुःख उठाने के कारण प्राय: हममें कटुता आ जाती है, द्रष्टि संकुचित हो जाती है और हम स्वार्थी तथा दूसरों की कमियों के प्रति असहिष्णु बन जाते हैं।

  261. सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।

  262. आत्मबल के आधार पर खड़े रहने को ही स्वराज कहते हैं।

  263. आलसी, ऐश-आराम में लिप्त के लिए स्वराज कहाँ।

  264. सच्चे त्याग और आत्मशुद्धि के बिना स्वराज नहीं आएगा।

  265. शिक्षा इस तरह की हो जो छात्र के मन का, शरीर का, और आत्मा का विकास करे।

  266. शारीरिक और मानसिक शिक्षा साथ –साथ दी जाये, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।

  267. दुनिया में जो जिसके योग्य है, वह उसे मिलता ही है।

  268. यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैं कि वह अनुभव करे कि उसका देश स्वतन्त्र हैं और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य हैं।

  269. मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।

  270. ज्यादा बोलने से कोई फायदा नही होता है बल्कि सबकी नजरो में अपना नुकसान ही होता है।

  271. बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।

  272. जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।

  273. जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है। उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए।

  274. बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है।

  275. थका हुआ इंसान दौड़ने लगे तो स्थान पर पहुँचने के बजाय जान गंवा बेठता है, ऐसे समय पर आराम करना और आगे बढ़ने की ताकत जुटाना उसका धर्म हो जाता है।

  276. जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।

  277. त्याग के मूल्य का तभी पता चलता है, जब अपनी कोई मूल्यवान वस्तु छोडनी पडती है।

  278. जो मनुष्य सम्मान प्राप्त करने योग्य होता है, वह हर जगह सम्मान प्राप्त कर लेता है पर अपने जन्म-स्थान पर उसके लिए सम्मान प्राप्त करना कठिन ही है।

  279. हमारे देश में अनेक धर्म, अनेक भाषाए भी है लेकिन हमारी संस्कृति एक ही है।

  280. जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को मयान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।

  281. जब तक हमारा अंतिम ध्येय प्राप्त ना हो जाए तब तक उत्तरोत्तर अधिक कष्ट सहन करने की शक्ति हमारे अन्दर आये, यही सच्ची विजय है।

  282. गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।

  283. स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी यदि परतन्त्रता की दुर्गन्ध आती रहे, तो स्वतन्त्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।

  284. किसी तन्त्र या संस्थान की पुनः निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है।

  285. प्रेम तो प्रेम है। माता को अपना काना-कुबड़ा बच्चा भी सुंदर लगता है और वह उससे असीम प्रेम करती है।

  286. कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है।

  287. कठिन समय में कायर बहाना ढूंढते हैं तो वहीं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।

  288. महान उदेश्यों की पूर्ति के लिए शक्ति और विश्वास दोनों का होना जरुरी है।

  289. आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है – यह आपको सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।

  290. अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।

  291. अगर हमारी करोड़ों की दौलत भी चली जाए या फिर हमारा पूरा जीवन बलिदान हो जाए तो भी हमें ईश्वर में विश्वास और उसके सत्य पर विश्वास रखकर प्रसन्न रहना चाहिए।

  292. इस देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है, जो इतनी कठिनाइयों के बावजूद हमेशा महान आत्माओं की भूमि रही हैं।

  293. अगर आपके पास शक्ति की कमी है तो विश्वास किसी काम का नहीं। क्योंकि महान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, शक्ति और विश्वास दोनों का होना जरूरी है।

  294. अक्सर मैं, ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक उसका जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है, जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।

  295. यदि मरना होगा, तो वे अपने पापों से मरेंगे। जो काम प्रेम व शांति से होता है, वह वैर-भाव से नहीं होता।

  296. संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गयी है।

  297. आपको अपना अपमान सहने की कला आनी चाहिए।

  298. सेवा धर्म बहुत ही कठिन है यह तो कठिन काँटों के सेज पर सोने जैसा है।

  299. जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के, ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।

  300. मेरी एक ही इच्छा है कि भारत एक अच्छा उत्पादक हो और इस देश में कोई अन्न के लिए आंसू बहाता हुआ भूखा ना रहे।

  301. कोई भी राज्य प्रजा पर कितना ही गर्म क्यों न हो जाये, अंत में तो उसे ठंडा होना ही पड़ेगा।

  302. लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा।

  303. मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए।

  304. आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए।

  305. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गन्ध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगन्ध नहीं फेल सकती।

  306. सरकार की तोप या बन्दूकें हमारा कुछ नहीं कर सकती। हमारी निर्भयता ही हमारा कवच है।

  307. देश की इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।

  308. आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है, इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिये।

  309. बेशक कर्म पूजा है किन्तु हास्य जीवन है। जो कोई भी अपना जीवन बहुत गंभीरता से लेता है, उसे एक तुच्छ जीवन के लिए तैयार रहना चाहिए। जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।

  310. चर्चिल से कहो कि भारत को बचाने से पहले इंग्लैण्ड को बचाए।

  311. आप मानवता में विश्वास मत खोइए, मानवता सागर की तरह है। अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता।

  312. जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जायेगी, दुनिया में अमन आ जायेगा।

  313. आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नीयति बन जाती है।

  314. आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं

  315. आपकी मान्यताएं आपके विचार बन जाते हैं, आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं

  316. गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है।

  317. कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है

  318. दुनिया हर किसी की ‘ जरूरत ‘ के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के ‘ लालच ‘ के लिए नहीं।

  319. जहाँ प्रेम है, वहां ईश्वर है।

  320. स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है – स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना।

  321. मानवता की महानता मानव होने में नहीं है, बल्कि मानवीय होने में है।

  322. त्याग के बिना पूजा घनघोर पाप हैं

  323. नैतिकता के बिना व्यापार घनघोर पाप हैं

  324. सिद्धांत के बिना राजनीति घनघोर पाप हैं

  325. चरित्र के बिना ज्ञान घनघोर पाप हैं

  326. मानवता के बिना विज्ञान घनघोर पाप हैं

  327. अंतरात्मा के बिना सुख घनघोर पाप हैं

  328. काम के बिना धन घनघोर पाप हैं

  329. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन।

  330. मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ।

  331. क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं।

  332. जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।

  333. अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है।

  334. अपनी भूल को मंजूर कर लेना और अपने आचरण से दुबारा भूल न होने देना ही सच्ची मर्दानगी है।

  335. भूल करना मनुष्य का स्वभाव है।

  336. पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।

  337. वह धार्मिक है, जो दूसरों का दर्द समझता है।

  338. पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।

  339. भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज आप क्या कर रहे हैं।

  340. आँख के बदले में आँख, पूरे विश्व को अँधा बना देगी।

  341. खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।

  342. जब मैं निराश होता हूँ मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने वाले ही हमेशा विजयी होते हैं।

  343. ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है, यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है।

  344. आप चाहते हैं कि हमारा राष्ट्र संगठित हो, इसलिए आपको प्रान्तीयता के अभियान को छोड़ देना चाहिए।

  345. हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा बना देना चाहिए।

  346. हिंदी पढ़ना इसलिए जरूरी है कि उससे देश में भाईचारे की भावना पनपती है।

  347. गलत साधन हमें कभी भी सही उद्देश्य तक नही ले जाते हैं।

  348. स्वास्थ्य ही असली संपत्ति है, न कि सोना और चांदी।

  349. तभी बोलो जब वह मोन से बेहतर हो।

  350. कोई कायर प्यार नहीं कर सकता है, यह तो बहादुर की निशानी है।

  351. किसी देश की महानता और उसकी नैतिक उन्नति का अंदाजा हम वहां जानवरों के साथ होने वाले व्यवहार से लगा सकते हैं।

  352. हम जो करते हैं और हम जो कर सकते हैं, इसके बीच का अंतर दुनिया की ज्यादातर समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त होगा।

  353. सत्य मेरा भगवान है अहिंसा उसे पाने का साधन है।

  354. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है।

  355. आप जो करते हैं वह नगण्य होगा. लेकिन आपके लिए वह करना बहुत अहम है।

  356. गौरव लक्ष्य पाने के लिए कोशिश करने में हैं, न कि लक्ष्य तक पहुंचने में।

  357. धैर्य का छोटा हिस्सा भी एक टन उपदेश से बेहतर है।

  358. व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है।

  359. चाहे धन, मान, कुटुम्ब और प्राणों तक का त्याग करना पड़े, पर धर्म को कदापि न छोडा जाए।

  360. हजारों लोगों द्वारा कुछ सैकडों की हत्या करना बहादुरी नहीं है। यह कायरता से भी बदतर है। यह किसी भी राष्ट्रवाद और धर्म के विरुद्ध है।

  361. दुनिया में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि विपरीत परिस्थितियां आने पर उनका साहस टूट जाता है और वह भयभीत हो जाते हैं।

  362. जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।

  363. अपनी वर्तमान अवस्था के जिम्मेदार हम ही हैं, और जो कुछ भी हम होना चाहते हैं, उसकी शक्ति भी हमीं में है। यदि हमारी वर्तमान अवस्था हमारे ही पूर्व कर्मों का फल है, तो यह निश्चित है कि जो कुछ हम भविष्य में होना चाहते हैं, वह हमारे वर्तमान कार्यों द्वारा ही निर्धारित किया जा सकता है।

  364. हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर स्थित है।

  365. यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है, अपने अंतर्मन में राष्ट्रभक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।

  366. उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।

  367. बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी है, जैसा कि हम अंदर से सोचते हैं। हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। पूरा संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की।

  368. जब कभी भारत के सच्चे इतिहास का पता लगाया जायेगा। तब यह संदेश प्रमाणित होगा कि धर्म के समान ही विज्ञान, संगीत, साहित्य, गणित, कला आदि में भी भारत समग्र संसार का आदि गुरु रहा है।

  369. कर्म योग का रहस्य है कि बिना किसी फल की इच्छा के कर्म करना है, यह भगवान कृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है।

  370. जब तक मनुष्य के जीवन में सुख – दुख नहीं आएगा तब तक मनुष्य को यह एहसास कैसे होगा कि जीवन में क्या सही है? और क्या गलत है?

  371. मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।

  372. किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये, आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।

  373. जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।

  374. कुछ मत पूछो, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वो दो, वो तुम तक वापस आएगा। परन्तु उसके बारे में अभी मत सोचो।

  375. हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही ज्यादा शुद्ध होगा और परमात्मा उसमें बसेंगे।

  376. शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।

  377. मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है।

  378. कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?

  379. जिस क्षण मैंने ईश्वर को हर इंसान में बैठे महसूस किया है, उसी क्षण से में हर इंसान के सामने सम्मान से खड़ा होता हूँ और उनमे ईश्वर को देखता हूँ।

  380. वह आदमी अमरत्व तक पहुंच गया है जो किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होता है।

  381. जो सत्य है, उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो। उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं, इस पर ध्यान मत दो।

  382. क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं हैं। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढतापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चहिए।

  383. वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, वो केवल त्रुटी जानता है। वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो, तुम पापी हो, तुम एक तुच्छ प्राणी हो, तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है, तुम ये नहीं कर सकते और तुम वो नहीं कर सकते।

  384. जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक। उसे जहर की तरह त्याग दो।

  385. चिंतन करो, चिंता नहीं; नए विचारों को जन्म दो।

  386. शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।

  387. वही समाज सब से श्रेष्ठ है, जहाँ सभी सत्यों को कार्य में परिवर्तित किया जा सकता है – यही मेरा मत है। और यदि समाज इस समय उच्चतम सत्यों को स्थान देने में समर्थ नहीं है, तो उसे इस योग्य बनाओ। और जितना शीघ्र तुम ऐसा कर सको, उतना ही अच्छा।

  388. सत्य ही हमारे सारे प्राणियों और समाजों का मूल आधार है, अतः सत्य कभी भी समाज के अनुसार अपना गठन नहीं करेगा।

  389. सत्य, प्राचीन अथवा आधुनिक किसी समाज का सम्मान नहीं करता। समाज को ही सत्य का सम्मान करना पड़ेगा, अन्यथा समाज का विनाश हो जाएगा।

  390. जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सके, मनुष्य बन सके ,चरित्र गठन कर सके और विचारों की सामंजस्य कर सकें। वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है।

  391. लगातार श्रम करना ही आपकी सफलता का साथी है, इसलिए श्रम को सकारात्मक बनाएं विनाशक नहीं। श्रम एक अपराधी भी करता है, लेकिन उसका लक्ष्य सिर्फ किसी को नुकसान पहुंचाना या फिर किसी की जान लेना ही होता है।

  392. जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं। उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग, चाहे अच्छा हो या बुरा, भगवान तक जाता है।

  393. जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, कि तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।”

  394. हम हमेशा अपनी कमज़ोरी को अपनी शक्ति बताने की कोशिश करते हैं,अपनी भावुकता को प्रेम कहते हैं और अपनी कायरता को धैर्य।

  395. हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।

  396. जहां दुर्बलता और जड़ता है, वहां क्षमा का कोई मूल्य नहीं, वहां युद्ध ही श्रेयस्कर है। जब तुम यह समझो कि सरलता से तुम विजय प्राप्त कर सकते हो, तभी क्षमा करना। संसार युद्ध क्षेत्र है। युद्ध करके ही अपना मार्ग साफ करो।

  397. पवित्रता, धैर्य और उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं।

  398. जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है

  399. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।

  400. जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।

  401. पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता। एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।

  402. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते।

  403. दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।

  404. ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को खत्म कर देता है।

  405. एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

  406. लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहांत आज हो या युग में, परंतु तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न होना।

  407. आकांक्षा, अज्ञानता और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं।

  408. केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।

  409. आप अपने को जैसा सोचेंगे, आप वैसे ही बन जाएंगे। यदि आप स्वयं को कमजोर मानते हैं तो आप कमजोर ही होंगे। और यदि आप स्वयं को मजबूत सोचते हैं तो आप मजबूत हो जाएंगे।

  410. जब तक करोड़ों लोग भूखे और अज्ञानी रहेंगे, मैं उस प्रत्येक व्यक्ति को विश्वासघाती मानूंगा जो उनकी कीमत पर शिक्षित हुआ है और उनकी ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है।

  411. कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।

  412. दिन-रात अपने मस्तिष्क को, उच्चकोटि के विचारो से भरो। जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा।

  413. यदि संसार में कहीं कोई पाप है तो वह है दुर्बलता। हमें हर प्रकार की कमजोरी या दुर्बलता को दूर करना चाहिए। दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु के समान है।

  414. अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है |

  415. मनुष्य जितना अपने अंदर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पायेगा।

  416. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।

  417. दुनिया एक महान व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

  418. दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।

  419. जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है|

  420. सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है|

  421. इच्छा का समुद्र हमेशा अतृप्त रहता है । उसकी माँगे ज्यों-ज्यों पूरी की जाती है, त्यों-त्यों और गर्जन करता है।

  422. मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं। जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।

  423. धर्म कल्पना की चीज नहीं है, प्रत्यक्ष दर्शन की चीज है। जिसने एक भी महान आत्मा के दर्शन कर लिए वह अनेक पुस्तकी पंडितों से बढ़कर है।

  424. किसी की निंदा ना करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।

  425. अगर स्वाद की इंद्रिय को ढील दी, तो सभी इन्द्रियां बेलगाम दौड़ेगी।

  426. भय और अपूर्ण वासना ही समस्त दुःखों का मूल है।

  427. बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु ।

  428. प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है। वह जो प्रेम करता है जीता है। वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो, क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है। वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो।

  429. अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है। जब तक जीवन है सीखते रहो।

  430. तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा आध्यात्मिक गुरु नहीं है।

  431. हमे ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके।

  432. अभय हो! अपने अस्तित्व के कारक तत्व को समझो, उस पर विश्वास करो। भारत की चेतना उसकी संस्कृति है। अभय होकर इस संस्कृति का प्रचार करो।

  433. धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है। यह शक्ति जब तक सुरक्षित है, तब तक विश्व की कोई भी शक्ति हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती।

  434. यही दुनिया है; यदि तुम किसी का उपकार करो, तो लोग उसे कोई महत्व नहीं देंगे। किन्तु ज्यों ही तुम उस कार्य को बंद कर दोगे, वे तुरन्त तुम्हें बदमाश प्रमाणित करने में नहीं हिचकिचायेंगे।

  435. जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है। यह अग्नि का दोष नहीं है।

  436. वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।

  437. किसी चीज से डरो मत। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।

  438. पीड़ितों की सेवा के लिए आवश्यकता पड़ने पर हम अपने मठ की भूमि तक भी बेच देंगे। हजारों असहाय नर नारी हमारे नेत्रों के सामने कष्ट भोगते रहें और हम मठ में रहें, यह असम्भव है। हम सन्यासी हैं,वृक्षों के नीचे निवास करेंगे और भिक्षा मांगकर जीवित रह लेंगे।

  439. हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उनको अपने दिल और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।

  440. हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

  441. शिक्षा क्या है ? क्या वह पुस्तक-विद्या है ? नहीं। क्या वह नाना प्रकार का ज्ञान है ? नहीं, यह भी नहीं। जिस संयम के द्वारा इच्छाशक्ति का प्रवाह और विकास वश में लाया जाता है और वह फलदायक होता है, वह शिक्षा कहलाती है।

  442. संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।

  443. अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि संगठन के बिना संसार में कोई भी महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता।

  444. हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है – उपहास, विरोध और स्वीकृति।

  445. यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।

  446. मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।

  447. मुझे गर्व है कि में उस देश में रहता हूँ जिसने दुनिया को सहिष्गुणता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।

  448. उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो। तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो। तुम तत्व नहीं हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो

  449. उठो , जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्ति ना हो जाये तब तक मत रुको।

  450. किसी व्यक्ति के दिल-दिमाग को समझने के लिए इस बात को न देखें कि उसने अभी तक क्या प्राप्त किया है, अपितु इस बात को देखें कि वह क्या अभिलाषा रखता है।

  451. किसी भी नींव का सबसे मजबूत पत्थर सबसे निचला ही होता है।

  452. वह व्यक्ति ग़रीब नहीं है जिस के पास थोड़ा बहुत ही है। ग़रीब तो वह है जो ज़्यादा के लिए मरा जा रहा है।

  453. जिस प्रकार से श्रम करने से शरीर मजबूत होता है, उसी प्रकार से कठिनाईयों से मस्तिष्क सुदृढ़ होता है।

  454. अंत की तुलना में शुरुआत में विरोध करना आसान होता है।

  455. श्रद्धा यह समझने में है कि आप हमेशा वो पा जाते हैं जिसकी आपकी ज़रुरत होती है।

  456. जो धर्म, सत्य, क्षेष्ठता और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।

  457. मुझे प्रकाश से प्यार है क्योकि वह मुझे मेरा रास्ता दिखाता है, यही नहीं बल्कि मुझे अंधकार से भी प्यार है क्योकि वह मुझे तारे दिखाता है।

  458. जब खराब वक़्त चल रहा होता है तब हमें सबकुछ हमेशा ही ख़राब होते नज़र आता है। लेकिन बाद में हमें उनसे लड़ने के लिए एक आशा की किरण भी दिखाई देती है जो हमें अंधकार से उजाले की तरफ ले जाती है।

  459. मैं कभी छोटे बोझ की चाह नही रखता बल्कि व्यापक कंधो की चाह रखता हूँ |

  460. सफल बनने के लिए आपको कुछ करने की जरुरत है और थोडा सा बुरा करने की जरुरत है। क्योकि आप कैसे अच्छे दिखते इसे देखने से पहले आप कैसे बुरे दिखते हो इसे देखने की जरुरत होती है।

  461. अपना जीवन जीने के केवल दो ही तरीके हैं. पहला यह मानना कि कोई चमत्कार नहीं होता है, दूसरा है कि हर वस्तु एक चमत्कार है।

  462. एक ऐसा व्यक्ति जिसने कभी गलती नहीं की है, उसने जीवन में कुछ नया करने का कभी प्रयास ही नहीं किया होता है।

  463. सफल मनुष्य बनने के प्रयास से बेहतर है गुणी मनुष्य बनने का प्रयास।

  464. आपकी कल्पनाशक्ति आपके जीवन के आने वाले आकर्षणों का पूर्वावलोकन है।

  465. खुशी हम पर निर्भर करती है।

  466. मित्र क्या है? एक आत्मा जो दो शरीरों में निवास करती है।

  467. एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।

  468. अपने कार्य के पीछे की मंशा को देखो। अक्सर तुम उस चीज के लिए नहीं जाते जो तुम्हे सच में चाहिए।

  469. एक शानदार कम्पनी को उचित कीमत पर खरीदना एक उचित कम्पनी को शानदार कीमत पर खरीदने से ज्यादा अच्छा है|

  470. हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं।

  471. सफलता एक अच्छी टीचर नहीं है, असफलता आपको विनम्र बनाती है।

  472. काफी समय पहले से मेरे ध्यान में ये बात है कि सफलता पाने वाले बैठ कर चीजों के होने का इंतज़ार नहीं करते। वे बाहर जाते हैं और वे चीजें कर डालते हैं।

  473. यदि कोई एक व्यक्ति को भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा.

  474. हमेशा लम्बी अवधि के लिए निवेश करें |

  475. रिस्क तब होता है जब आपको पता ही नही होता है कि आप क्या कर रहे हैं|

  476. जब दूसरे लालची हो जाते हैं तो हम भयभीत रहते हैं, और दूसरे भयभीत रहते हैं तब हम लालची बन जाते हैं|

  477. खर्च करने के बाद जो बचता है उसे न बचावें, लेकिन बचत करने के बाद बच जाता है उसे खर्च करें|

  478. अगर बिजनेस अच्छा करता है तो स्टाक खुद-बखुद अच्छा करने लगते हैं।

  479. मैं ७ फुट के अवरोध को पार करने की नहीं सोचता: मैं १ फुट का अवरोध ढूंढता हूँ जिसे मैं पार कर सकूँ।

  480. मैं जिन अरबपतियों को जानता हूँ, पैसा बस उनके अन्दर बुनियादी लक्षण लाता है। अगर वो पहले से मूर्ख थे तो अब वो अरबों डॉलर्स के साथ मूर्ख हैं।

  481. अपने से बेहतर लोगों के साथ समय बिताना अच्छा होता है। ऐसे सहयोगी बनाएं जिनका व्यवहार आपसे अच्छा हो, और आप उस दिशा में बढ़ जायेंगे।

  482. साख बनाने में बीस साल लगते हैं और उसे गंवाने में बस पांच मिनट। अगर आप इस बारे में सोचेंगे तो आप चीजें अलग तरह से करेंगे।

  483. मुझे हमेशा से पता था कि मैं अमीर बनने जा रहा हूँ। मुझे नही लगता कि मैंने एक मिनट के लिए भी इस बात पर शक किया।

  484. हमारी बिजनेस से सम्बंधित समस्याएं नहीं होतीं, हमारी लोगों से सम्बंधित समस्याएं होती हैं।

  485. चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा पैदा होता है; ये बच्चे के पैदा होने के सौ साल पहले से शुरू हो जाता है।

  486. जीतने वाले कोई अलग काम नही करते । वो हर काम अलग ढंग से करते हैँ ।

  487. जब भी मैं बहुत अभिमानी महसूस करने लगता हूँ तो अमेरिका की यात्रा पर चला जाता हूँ. इमीग्रेशन वाले लात मार कर मेरे स्टारडम से स्टार निकाल देते हैं.

  488. मैं वास्तव में यकीन करता हूँ कि मेरा काम ये सुनिश्चित करना है कि लोग हंसें।

  489. मैं जब भी एक पिता या पति के रूप में फेल होता हूँ …एक खिलौना और एक हीरा हमेशा काम कर जाते हैं.

  490. मेरा मानना है कि प्यार किसी भी उम्र में हो सकता है …इसकी कोई उम्र नहीं होती।

  491. जीवन ऐसा कुछ नहीं है जिसके प्रति बहुत गंभीर रहा जाए। जीवन तुम्हारे हाथों में खेलने के लिए एक गेंद है। गेंद को पकड़े मत रहो।

  492. “आज” भगवान का दिया हुआ एक उपहार है- इसीलिए इसे “प्रेजेंट” कहते हैं।

  493. कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्बाद नहीं करती, बल्कि हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्बाद करती है।

  494. इस दुनिया में सम्मान से जीने का सबसे महान तरीका है कि हम वो बनें जो हम होने का दिखावा करते हैं।

  495. हमारी प्रार्थना बस सामान्य रूप से आशीर्वाद के लिए होनी चाहिए, क्योंकि भगवान जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा है।

  496. मृत्यु संभवतः मानवीय वरदानो में सबसे महान है।

  497. जीवनभर ज्ञानार्जन के बाद मैं केवल इतना ही जान पाया हूं कि मैं कुछ भी नहीं जान पाया हूं।

  498. धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है।

  499. हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुशासन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो|

  500. कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए |

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