एक विचार को प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितना कि एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मर जायेंगे।
By : लाल बहादुर शास्त्री
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ek vichaar ko phailaane kee utanee hee aavashyakata hotee hai kyonki ek paudhe ko paanee kee aavashyakata hotee hai. nahin to donon murajhaenge aur mar jaenge. | एक विचार को प्रसार की उतनी ही आवश्यकता होती है जितना कि एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है। नहीं तो दोनों मुरझाएंगे और मर जायेंगे।
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