अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।

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अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती। : Angoorko jab tak pairo tab tak wah meethi madira nahi banti, waise hi manushya jab tak kashta mein nahi pistaa tab tak uske andar ki sarvottam pratibha bahar nahi aati. - छत्रपति शिवाजी
अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती। : Angoorko jab tak pairo tab tak wah meethi madira nahi banti, waise hi manushya jab tak kashta mein nahi pistaa tab tak uske andar ki sarvottam pratibha bahar nahi aati. - छत्रपति शिवाजी

angoorko jab tak pairo tab tak wah meethi madira nahi banti, waise hi manushya jab tak kashta mein nahi pistaa tab tak uske andar ki sarvottam pratibha bahar nahi aati. | अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।

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