निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।

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निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो। : Nihit svaarthon ko tab tak svechchha se nahin chhoda gaya hai jab tak ki majaboor karane ke lie paryaapt bal na lagaaya gaya ho. - डॉ॰ बी॰ आर॰ अम्बेडकर
निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो। : Nihit svaarthon ko tab tak svechchha se nahin chhoda gaya hai jab tak ki majaboor karane ke lie paryaapt bal na lagaaya gaya ho. - डॉ॰ बी॰ आर॰ अम्बेडकर

nihit svaarthon ko tab tak svechchha se nahin chhoda gaya hai jab tak ki majaboor karane ke lie paryaapt bal na lagaaya gaya ho. | निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।

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