मैं कभी छोटे बोझ की चाह नही रखता बल्कि व्यापक कंधो की चाह रखता हूँ |
By : अज्ञात
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mai kabhi chhote bojh ki chah nahi rakhta balki vyapak kandho ki chaah rakhta hu. | मैं कभी छोटे बोझ की चाह नही रखता बल्कि व्यापक कंधो की चाह रखता हूँ |
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