मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
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maan-sammaan kisee ke dene se nahin milate, apanee yogyata ke anusaar milate hain. | मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
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- जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को मयान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
- उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।
- सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।
- बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
- जिसने कभी त्याग नहीं किया, वह इसका मूल्य क्या जाने।
- जो मनुष्य सम्मान प्राप्त करने योग्य होता है, वह हर जगह सम्मान प्राप्त कर लेता है पर अपने जन्म-स्थान पर उसके लिए सम्मान प्राप्त करना कठिन ही है।
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- कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है।
- कठिन समय में कायर बहाना ढूंढते हैं तो वहीं, बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते है।
- अक्सर मैं, ऐसे बच्चे जो मुझे अपना साथ दे सकते हैं, के साथ हंसी-मजाक करता हूँ। जब तक एक इंसान अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रख सकता है तभी तक उसका जीवन उस अंधकारमयी छाया से दूर रह सकता है, जो इंसान के माथे पर चिंता की रेखाएं छोड़ जाती है।