कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है।
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kathor-se-kathor hrday ko bhee prem se vash mein kiya ja sakata hai. | कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है।
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- मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
- जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को मयान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
- गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
- उतावले उत्साह से बड़ा परिणाम निकलने की आशा नहीं रखनी चाहिये।
- शारीरिक दुःख से मानसिक दुःख अधिक बुरा होता है।
- सेवा करने वाले मनुष्य को विन्रमता सीखनी चाहिए, वर्दी पहन कर अभिमान नहीं, विनम्रता आनी चाहिए।
- शिक्षा इस तरह की हो जो छात्र के मन का, शरीर का, और आत्मा का विकास करे।
- शारीरिक और मानसिक शिक्षा साथ –साथ दी जाये, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
- बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
- जो कोई भी सुख और दुःख का समान रूप से स्वागत करता है वास्तव में वही सबसे अच्छी तरह से जीता है।