एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
By : छत्रपति शिवाजी
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ek safal manushya apne kartavya ki parakashtah ke liye samuchit maanav jaati ki chunauti ko sweekar kar leta hai. | एक सफल मनुष्य अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, समुचित मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
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- अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- जो सबका मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।
- एक ऐसा क्षण जो इतिहास में बहुत ही कम आता है, जब हम पुराने के छोड़ नए की तरफ जाते हैं , जब एक युग का अंत होता है, और जब वर्षों से शोषित एक देश की आत्मा, अपनी बात कह सकती है।
- हम सिर्फ खुद के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति, विकास और कल्याण में विश्वास रखते हैं।
- इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे पास बड़ी परियोजनाएं, बड़े उद्योग, बुनियादी उद्योग हैं
- हर जाति या राष्ट्र खाली तलवार से वीर नहीं बनता तलवार तो रक्षा-हेतु आवश्यक है, पर राष्ट्र की प्रगति को तो उसकी नैतिकता से ही मापा जा सकता है।