कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?
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koee bhee vyakti kitana hee mahaan kyon na ho, aankhen moondakar usake peechhe na chalie. yadi eeshvar kee aisee hee mansha hotee hai to vah har praanee ko aankh, naak, kaan, munh, mastishk aadi kyon deta hai? | कोई व्यक्ति कितना ही महान क्यों न हो, आँखें मूंदकर उसके पीछे न चलिए। यदि ईश्वर की ऐसी ही मंशा होती तो वह हर प्राणी को आँख, नाक, कान, मुँह, मस्तिष्क आदि क्यों देता?
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