कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए |

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कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए | : Kalaa manvey aatma ki gehri paraton ko ujaagar karti hai, kalaa tabhi sambhav hai jab swarg dharti ko chhue. - डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए | : Kalaa manvey aatma ki gehri paraton ko ujaagar karti hai, kalaa tabhi sambhav hai jab swarg dharti ko chhue. - डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

kalaa manvey aatma ki gehri paraton ko ujaagar karti hai, kalaa tabhi sambhav hai jab swarg dharti ko chhue. | कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए |

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