विषयों, व्यसनों और विलासों मेंं सुख खोजना और पाने की आशा करना एक भयानक दुराशा है।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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vishayon, vysanao aur vilaao me sukh khojna aur pane ki aasha karna ek bhayanak durasha hai. | विषयों, व्यसनों और विलासों मेंं सुख खोजना और पाने की आशा करना एक भयानक दुराशा है।
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- विवेकशील व्यक्ति उचित अनुचित पर विचार करता है और अनुचित को किसी भी मूल्य पर स्वीकार नहीं करता।
- अवांछनीय कमाई से बनाई हुई खुशहाली की अपेक्षा ईमानदारी के आधार पर गरीबों जैसा जीवन बनाये रहना कहीं अच्छा है।
- बड़प्पन बड़े आदमियों के संपर्क से नहीं, अपने गुण, कर्म और स्वभाव की निर्मलता से मिला करता है।
- किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है।
- जिनके भीतर-बाहर एक ही बात है, वही निष्कपट व्यक्ति धन्य है।
- अज्ञानी वे हैं, जो कुमार्ग पर चलकर सुख की आशा करते हैं।
- बुराई मनुष्य के बुरे कर्मों की नहीं, वरन् बुरे विचारों की देन होती है।
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- ईमानदार होने का अर्थ है-हजार मनकों में अलग चमकने वाला हीरा।
- संसार में हर वस्तु में अच्छे और बुरे दो पहलू हैं, जो अच्छा पहलू देखते हैं वे अच्छाई और जिन्हें केवल बुरा पहलू देखना आता है वह बुराई संग्रह करते हैं।