जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है।

इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है

जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है। : Jis din jis kshan kisi ke andar bura vichar aaye athva koi dushkarm karne ki pravritti upje, manna chahiye ki wahi kshan manushya ke liye ashubh hai. - प्रज्ञा सुभाषित
जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है। : Jis din jis kshan kisi ke andar bura vichar aaye athva koi dushkarm karne ki pravritti upje, manna chahiye ki wahi kshan manushya ke liye ashubh hai. - प्रज्ञा सुभाषित

jis din jis kshan kisi ke andar bura vichar aaye athva koi dushkarm karne ki pravritti upje, manna chahiye ki wahi kshan manushya ke liye ashubh hai. | जिस दिन, जिस क्षण किसी के अंदर बुरा विचार आये अथवा कोई दुष्कर्म करने की प्रवृत्ति उपजे, मानना चाहिए कि वह दिन-वह क्षण मनुष्य के लिए अशुभ है।

Related Posts