किसी से इर्ष्या करके मनुष्य उसका तो कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, पर अपनी निद्रा और अपना सुख-संतोष अवश्य खो देता है।

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किसी से इर्ष्या करके मनुष्य उसका तो कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, पर अपनी निद्रा और अपना सुख-संतोष अवश्य खो देता है। : Kisi se irshya karke manushya uska to kuchh nahi bigaad sakta par apni nidra, apa sukh aur apna santosh avashya kho deta hai. - प्रज्ञा सुभाषित
किसी से इर्ष्या करके मनुष्य उसका तो कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, पर अपनी निद्रा और अपना सुख-संतोष अवश्य खो देता है। : Kisi se irshya karke manushya uska to kuchh nahi bigaad sakta par apni nidra, apa sukh aur apna santosh avashya kho deta hai. - प्रज्ञा सुभाषित

kisi se irshya karke manushya uska to kuchh nahi bigaad sakta par apni nidra, apa sukh aur apna santosh avashya kho deta hai. | किसी से इर्ष्या करके मनुष्य उसका तो कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, पर अपनी निद्रा और अपना सुख-संतोष अवश्य खो देता है।

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