जिस आदर्श के व्यवहार का प्रभाव न हो, वह फिजूल है और जो व्यवहार आदर्श प्रेरित न हो, वह भयंकर है।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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jis aadarsh ka vyavaharik prabhav na ho vah fijool hai aur jo vyavhar aadarsh prerit na ho vah bhayankar hai. | जिस आदर्श के व्यवहार का प्रभाव न हो, वह फिजूल है और जो व्यवहार आदर्श प्रेरित न हो, वह भयंकर है।
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- अंतरंग बदलते ही बहिरंग के उलटने में देर नहीं लगती है।
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- शालीनता बिना मूल्य मिलती है, पर उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है।
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