व्यक्तित्व की अपनी वाणी है, जो जीभ या कलम का इस्तेमाल किये बिना भी लोगों के अंतराल को छूती है।

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व्यक्तित्व की अपनी वाणी है, जो जीभ या कलम का इस्तेमाल किये बिना भी लोगों के अंतराल को छूती है। : Vyaktitva ki apni vaani hai jo jeebh ya kalam ka istemaal kiye bina bhi logo ke antaraal ko chhooti hai - प्रज्ञा सुभाषित
व्यक्तित्व की अपनी वाणी है, जो जीभ या कलम का इस्तेमाल किये बिना भी लोगों के अंतराल को छूती है। : Vyaktitva ki apni vaani hai jo jeebh ya kalam ka istemaal kiye bina bhi logo ke antaraal ko chhooti hai - प्रज्ञा सुभाषित

vyaktitva ki apni vaani hai jo jeebh ya kalam ka istemaal kiye bina bhi logo ke antaraal ko chhooti hai | व्यक्तित्व की अपनी वाणी है, जो जीभ या कलम का इस्तेमाल किये बिना भी लोगों के अंतराल को छूती है।

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