अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बड़ा प्रमाद इस संसार में और कोई दूसरा नहीं हो सकता।

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अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बड़ा प्रमाद इस संसार में और कोई दूसरा नहीं हो सकता। : Apne dosho ki or se anbhigya rahne se bada pramaad is sansaar me doosra nahi hai - प्रज्ञा सुभाषित
अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बड़ा प्रमाद इस संसार में और कोई दूसरा नहीं हो सकता। : Apne dosho ki or se anbhigya rahne se bada pramaad is sansaar me doosra nahi hai - प्रज्ञा सुभाषित

apne dosho ki or se anbhigya rahne se bada pramaad is sansaar me doosra nahi hai | अपने दोषों की ओर से अनभिज्ञ रहने से बड़ा प्रमाद इस संसार में और कोई दूसरा नहीं हो सकता।

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