जो टूटे को बनाना, रूठे को मनाना जानता है, वही बुद्धिमान है।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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jo toote ko banan aur roothe ko manana jaanta hai vahi buddhiman hai. | जो टूटे को बनाना, रूठे को मनाना जानता है, वही बुद्धिमान है।
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- चरित्रवान व्यक्ति ही किसी राष्ट्र की वास्तविक सम्पदा है।
- कुकर्मी से बढ़कर अभागा और कोई नहीं है; क्योंकि विपत्ति में उसका कोई साथी नहीं होता।
- विवेकशील व्यक्ति उचित अनुचित पर विचार करता है और अनुचित को किसी भी मूल्य पर स्वीकार नहीं करता।
- अंतरंग बदलते ही बहिरंग के उलटने में देर नहीं लगती है।
- व्यक्तित्व की अपनी वाणी है, जो जीभ या कलम का इस्तेमाल किये बिना भी लोगों के अंतराल को छूती है।
- शालीनता बिना मूल्य मिलती है, पर उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है।
- अवांछनीय कमाई से बनाई हुई खुशहाली की अपेक्षा ईमानदारी के आधार पर गरीबों जैसा जीवन बनाये रहना कहीं अच्छा है।
- बड़प्पन बड़े आदमियों के संपर्क से नहीं, अपने गुण, कर्म और स्वभाव की निर्मलता से मिला करता है।
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- दूसरों की सबसे बड़ी सहायता यही की जा सकती है कि उनके सोचने में जो त्रुटि है, उसे सुधार दिया जाए।