योग के दृष्टिकोण से तुम जो करते हो वह नहीं, बल्कि तुम कैसे करते हो, वह बहुत अधिक महत्त्पूर्ण है।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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yoga ke drishtikon se tum jo karte ho wah nahi balki tum kaise karte ho vah bahut adhik mahatvapurna hai. | योग के दृष्टिकोण से तुम जो करते हो वह नहीं, बल्कि तुम कैसे करते हो, वह बहुत अधिक महत्त्पूर्ण है।
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