संघर्ष ही जीवन है। संघर्ष से बचे रह सकना किसी के लिए भी संभव नहीं।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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sangharsh hi jeevan hai, sangharsh se bache rah sakna ksi ke liye bhi sambhav nahi. | संघर्ष ही जीवन है। संघर्ष से बचे रह सकना किसी के लिए भी संभव नहीं।
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