बोधविचार - प्रेरक, ज्ञानपूर्ण व बेहतरीन विचारों का संग्रह

करुणा को रुई, सन्तोष को धागा, नम्रता को गाँठ और सत्यता को मरोड़ बनाओ। यह आत्मा का पवित्र धागा है, तब आगे बढ़ो और इसे मुझपर डाल दो - karuna ko rui, santosh ko dhaga, namrat ko ganth aur satyata ko marod banao yah aatma ka pavitra dhaga hai. : गुरु नानक देव

करुणा को रुई, सन्तोष को धागा, नम्रता को गाँठ और सत्यता को मरोड़ बनाओ। यह आत्मा का पवित्र धागा है, तब आगे बढ़ो और इसे मुझपर डाल दो। : Karuna ko rui, santosh ko dhaga, namrat ko ganth aur satyata ko marod banao yah aatma ka pavitra dhaga hai. - गुरु नानक देव

प्रदर्शन पहचान दिलाता है। पहचान से सम्मान आता है। सम्मान से शक्ति बढ़ती है। शक्ति मिलने पर विनम्रता और अनुग्रह का भाव रखना किसी संगठन की गरिमा को बढ़ाता है - pradarshan pehchan dilata hai, pehchan se samman aata hai, samman se shakti badhti hai, shakti milne par vinamrata aur anugrah ka bhav rakhne se garima badhti hai. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति

प्रदर्शन पहचान दिलाता है। पहचान से सम्मान आता है। सम्मान से शक्ति बढ़ती है। शक्ति मिलने पर विनम्रता और अनुग्रह का भाव रखना किसी संगठन की गरिमा को बढ़ाता है। : Pradarshan pehchan dilata hai, pehchan se samman aata hai, samman se shakti badhti hai, shakti milne par vinamrata aur anugrah ka bhav rakhne se garima badhti hai. - नागवार रामाराव नारायण मूर्ति

जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है।जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षिकता है - jab aap ek achchi ladki ke sath baithe ho to ek ghanta ek second jaisa aur yadi aap angaare par baithe ho to ek second ek ghante ke saman lagta hai - yahi saapekshikta hai : अल्बर्ट आइन्स्टाइन

जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है।जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षिकता है। : Jab aap ek achchi ladki ke sath baithe ho to ek ghanta ek second jaisa aur yadi aap angaare par baithe ho to ek second ek ghante ke saman lagta hai - yahi saapekshikta hai - अल्बर्ट आइन्स्टाइन

कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा। और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें - koi kaam shuru karne se pahle khud se teen sawal kare- main yah kyu kar rha hu. iske kya parinaam ho sakte hain, aur kya main safal ho jaunga. inke uttar santoshjanak uttar mil jaye tabnhi aage badhe : चाणक्य

कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा। और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें। : Koi kaam shuru karne se pahle khud se teen sawal kare- main yah kyu kar rha hu. iske kya parinaam ho sakte hain, aur kya main safal ho jaunga. inke uttar santoshjanak uttar mil jaye tabnhi aage badhe - चाणक्य