दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए. बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है - duniya me kisi vyakti ko bharm me nahi rehna chahiye, guru ke bina koi bhi doosre kinare tak nahin ja sakta. : गुरु नानक देव
भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं. वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है - bhagvan ek hai lekin uske kai roop hain. wo sabhi ka nirmankarta hai aur vo khud manushya ka roop leta hai. : गुरु नानक देव
प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ - prabhu ke liye khushiyo ke geet gao, prabhu ke naam ki seva karo aur uske sevko ke sevak ban jao. : गुरु नानक देव
करुणा को रुई, सन्तोष को धागा, नम्रता को गाँठ और सत्यता को मरोड़ बनाओ। यह आत्मा का पवित्र धागा है, तब आगे बढ़ो और इसे मुझपर डाल दो - karuna ko rui, santosh ko dhaga, namrat ko ganth aur satyata ko marod banao yah aatma ka pavitra dhaga hai. : गुरु नानक देव
मैं जन्मा नहीं हूं मेरे लिए कोई भी कैसे मर सकता है या कैसे जन्म ले सकता है - main janma nahi hu. mere liye koi bhi kaise mar sakta ya janm le sakta hai. : गुरु नानक देव
एक मुमकिन असंभावना एक निश्चित सम्भावना की तुलना में बेहतर है - ek mumkin asambhavna ek nishchit sambhavna ki tulna me behtar hai. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति
प्रगति अक्सर मन और मानसिकता के अंतर के बराबर होती है - pragati aksar man aur mansikta ke antar ke barabar hoti hai. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति
पैसे की असली शक्ति इसे दान देने की शक्ति का होना है - paise ki asli shakti ise daan dene ki shakti ka hona hai. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति
हम ईश्वर में यकीन रखते हैं, बाकी सभी तथ्य जमा करते हैं - hum ishwar me yaqeen rakhte hain baaki sab tathya jamaa karte hain. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति
चरित्र + अवसर = सफलता - charitra aur avsar milkar safalta-ka-nirman karte hain. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति
प्रदर्शन पहचान दिलाता है। पहचान से सम्मान आता है। सम्मान से शक्ति बढ़ती है। शक्ति मिलने पर विनम्रता और अनुग्रह का भाव रखना किसी संगठन की गरिमा को बढ़ाता है - pradarshan pehchan dilata hai, pehchan se samman aata hai, samman se shakti badhti hai, shakti milne par vinamrata aur anugrah ka bhav rakhne se garima badhti hai. : नागवार रामाराव नारायण मूर्ति
इस मक्कार दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है, यहाँ तक की हमारी परेशानिया भी नहीं - is makkar duniya me kuchh bhi sthaayi nahin hai yahan tak ki hamari pareshaniya bhi. : चार्ली चैपलिन
किसी आदमी का असली चरित्र तब सामने आता है जब वो नशे में होता है - Kisi aadmi ka asli charitra tab saamne aata hai jab wah nashe me hota hai. : चार्ली चैपलिन
हास्य टॉनिक है, राहत है, दर्द रोकने वाला है - hasya tonic hai, raahat hai, dard rokne wala hai. : चार्ली चैपलिन
असफलता महत्त्वहीन है। अपना मजाक बनाने के लिए हिम्मत चाहिए होती है - Asafalta mahatvheen hai, apna mazak banane ke liye himmat chahiye hoti hai. : चार्ली चैपलिन
ज़िन्दगी करीब से देखने में एक त्रासदी है, लेकिन दूर से देखने पर एक कॉमेडी - Zindgi kareeb se dekhne me tragedy hai or door se dekhne me comedy. : चार्ली चैपलिन
सबसे दुखद चीज जिसकी मैं कल्पना कर सकता हूँ वो है विलासिता का आदी होना - Sabse dukhad cheez jiski main kalpna kar sakta hu wo hai vilasita ka aadi ho jana. : चार्ली चैपलिन
जब आप एक अच्छी लड़की के साथ बैठे हों तो एक घंटा एक सेकंड के सामान लगता है।जब आप धधकते अंगारे पर बैठे हों तो एक सेकंड एक घंटे के सामान लगता है। यही सापेक्षिकता है - jab aap ek achchi ladki ke sath baithe ho to ek ghanta ek second jaisa aur yadi aap angaare par baithe ho to ek second ek ghante ke saman lagta hai - yahi saapekshikta hai : अल्बर्ट आइन्स्टाइन
ज़िन्दगी बढ़िया हो सकती है अगर लोग आपको अकेला छोड़ दें - zindgi badhiya ho sakti hai yadi log aapko akela chhod dein. : चार्ली चैपलिन
ईश्वर के सामने हम सभी एक बराबर ही बुद्धिमान हैं-और एक बराबर ही मूर्ख भी - ishvar ke saamne hum sabhi barabar buddhiman bhi hain aur barabar moorkh bhi. : अल्बर्ट आइन्स्टाइन
जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है, उस पर बड़े मसलों में भी भरोसा नहीं किया जा सकता - jo chhoti chhoti baaton me sach ko gambheerta se nahi leta us par bade maamlo me bhi bharosa nahin kiya ja sakta. : अल्बर्ट आइन्स्टाइन
इन्सान को यह देखना चाहिए कि क्या है, यह नहीं कि उसके अनुसार क्या होना चाहिए - Insaan Ko Yah Dekhna Chahiye ki kya hai. Yah Nahin ki uske anusaar kya hona chahiye. : अल्बर्ट आइन्स्टाइन
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो। यह कड़वा सच है - har mitrata ke peeche koi na koi swarth hota hai iesi koi mitrata nahi jisme svarth na ho yah kadwa sach hai. : चाणक्य
कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा। और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढें - koi kaam shuru karne se pahle khud se teen sawal kare- main yah kyu kar rha hu. iske kya parinaam ho sakte hain, aur kya main safal ho jaunga. inke uttar santoshjanak uttar mil jaye tabnhi aage badhe : चाणक्य
जैसे ही भय आपके करीब आये, उसपर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये - jaise hi darr aapke kareeb aaye us par aakraman karke use nasht kar deejiye : चाणक्य