विश्वास, विश्वास को उत्पन्न करता है और अविश्वास, अविश्वास को। यह स्वाभाविक है।
By : मुंशी प्रेमचंद
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vishwas , vishwas ko utpann karta hai aur asvishwas, avishvas ko . yah swabhavik hai. | विश्वास, विश्वास को उत्पन्न करता है और अविश्वास, अविश्वास को। यह स्वाभाविक है।
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- मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
- जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को मयान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
- गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
- कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है।
- अविश्वास भय का प्रमुख कारण होता है।
- आप मानवता में विश्वास मत खोइए, मानवता सागर की तरह है। अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता।
- जब मैं निराश होता हूँ मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग पर चलने वाले ही हमेशा विजयी होते हैं।
- व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है।
- क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं हैं। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढतापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चहिए।
- जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।