मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याएं गरीबी,अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है।
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mere man mein koi sandeh nahi hai ki hamare desh ki pramukh samasyae gaeebi, ashiksha, beemari, kushal utpadan, evam vitaran sirf samajvadi tareeke se ki jaa sakti hain. | मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि हमारे देश की प्रमुख समस्याएं गरीबी,अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है।
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- सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।
- हर जाति या राष्ट्र खाली तलवार से वीर नहीं बनता तलवार तो रक्षा-हेतु आवश्यक है, पर राष्ट्र की प्रगति को तो उसकी नैतिकता से ही मापा जा सकता है।
- एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।
- अब हर भारतीय को भूल जाना चाहिए कि वह सिख हैं, जाट है या राजपूत। उसे केवल इतना याद रखना चाहिए कि अब वह केवल भारतीय हैं जिसके पास सभी अधिकार हैं, लेकिन उसके कुछ कर्तव्य भी हैं।
- स्वतंत्र भारत में कोई भी भूख से नहीं मरेगा। अनाज निर्यात नहीं किया जायेगा। कपड़ों का आयात नहीं किया जाएगा। इसके नेता ना विदेशी भाषा का प्रयोग करेंगे ना किसी दूरस्थ स्थान, समुद्र स्तर से 7000 फुट ऊपर से शासन करेंगे। इसके सैन्य खर्च भारी नहीं होंगे, इसकी सेना अपने ही लोगों या किसी और की भूमि को अधीन नहीं करेगी। इसके सबसे अच्छे वेतन पाने वाले अधिकारी इसके सबसे कम वेतन पाने वाले सेवकों से बहुत ज्यादा नहीं कमाएंगे और यहाँ न्याय पाना ना खर्चीला होगा, ना कठिन होगा।
- सच्चे त्याग और आत्मशुद्धि के बिना स्वराज नहीं आएगा।
- यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैं कि वह अनुभव करे कि उसका देश स्वतन्त्र हैं और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य हैं।
- स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी यदि परतन्त्रता की दुर्गन्ध आती रहे, तो स्वतन्त्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।
- आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है – यह आपको सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।
- जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के, ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।