आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है - aatmbal, saamartya deta hai aur saamarthya vidya pradaan karti hai. vidya sthirta pradaan karti hai aur sthirata vijaayki or le jaati hai. : छत्रपति शिवाजी

आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है। : Aatmbal, saamartya deta hai aur saamarthya vidya pradaan karti hai. vidya sthirta pradaan karti hai aur sthirata vijaayki or le jaati hai. - छत्रपति शिवाजी

जीवन हमें जो ताश के पत्ते देता हैं, उन्हे हर खिलाड़ी को स्वीकार करना पड़ता हैं, लेकिन जब पत्ते हाथ में आ जावे तो खिलाड़ी को यह तय करना होता हैं कि वह उन पत्तों को किस तरह खेलें, ताकि वह बाजी जीत सके - jeevan hamen jo taash ke patte deta hain, unhe har khilaadi ko swikaar karna padta hain, lekin jab patte haath mein aa jaave to khilaadi ko yah tay karna hota hain ki vah un patton ko kis tarah khelen, taaki vah baazi jeet sake. : वोल्टेयर

जीवन हमें जो ताश के पत्ते देता हैं, उन्हे हर खिलाड़ी को स्वीकार करना पड़ता हैं, लेकिन जब पत्ते हाथ में आ जावे तो खिलाड़ी को यह तय करना होता हैं कि वह उन पत्तों को किस तरह खेलें, ताकि वह बाजी जीत सके। : Jeevan hamen jo taash ke patte deta hain, unhe har khilaadi ko swikaar karna padta hain, lekin jab patte haath mein aa jaave to khilaadi ko yah tay karna hota hain ki vah un patton ko kis tarah khelen, taaki vah baazi jeet sake. - वोल्टेयर

आपको ये नहीं मानना चाहिये कि आप जो श्रम करेंगे उससे उत्पन्न फसल को आप ही काटेंगे। सदेव ऐसा नहीं होता। हमे अपनी पूर्ण शक्ति से श्रम करना चाहिये और उसका परिणाम आने वाली पीढ़ी के भोगने के लिए छोड़ देना चाहिये। याद रखिये ,आप जो आम आज खा रहे हैं उनके पेड़ आपने नहीं लगाये थे - aapko yah nahi mannna chahiye ki aapko shra karenge usse utpanna fasal aap hi kaatenge. sadaiv esa nahi hota.humein apni poorna shakti se shram karna chahiye aur uska phalaane wali peedhi kobhogne ke liye chhod dene chahiye. yaad rakhiye aaj aap jo aam kha rahe hain uske ped aapne nahi lagaye the. : बाल गंगाधर तिलक

आपको ये नहीं मानना चाहिये कि आप जो श्रम करेंगे उससे उत्पन्न फसल को आप ही काटेंगे। सदेव ऐसा नहीं होता। हमे अपनी पूर्ण शक्ति से श्रम करना चाहिये और उसका परिणाम आने वाली पीढ़ी के भोगने के लिए छोड़ देना चाहिये। याद रखिये ,आप जो आम आज खा रहे हैं उनके पेड़ आपने नहीं लगाये थे। : Aapko yah nahi mannna chahiye ki aapko shra karenge usse utpanna fasal aap hi kaatenge. sadaiv esa nahi hota.humein apni poorna shakti se shram karna chahiye aur uska phalaane wali peedhi kobhogne ke liye chhod dene chahiye. yaad rakhiye aaj aap jo aam kha rahe hain uske ped aapne nahi lagaye the. - बाल गंगाधर तिलक

दूसरे के मुह से पानी नहीं पिया जा सकता ,हमे पानी स्वयं पीना होगा। वर्तमान व्यवस्था (अंग्रेजी हुकूमत ) हमे दुसरे के मुह से पानी पीने के लिए मजबूर करती है। हमे अपने कुवें से अपना पानी खीचना और पानी पीना चाहिये - doosre ke muh se paani nahi peeya jaa sakta, paanihumein swayam peena hoga. vartmaan vyavastha(angrezi hukoomat) humein ddosre ke muh s epaani peene par majboor karti hai. apne kue se paani kheench kar swayam peeye : बाल गंगाधर तिलक

दूसरे के मुह से पानी नहीं पिया जा सकता ,हमे पानी स्वयं पीना होगा। वर्तमान व्यवस्था (अंग्रेजी हुकूमत ) हमे दुसरे के मुह से पानी पीने के लिए मजबूर करती है। हमे अपने कुवें से अपना पानी खीचना और पानी पीना चाहिये। : Doosre ke muh se paani nahi peeya jaa sakta, paanihumein swayam peena hoga. vartmaan vyavastha(angrezi hukoomat) humein ddosre ke muh s epaani peene par majboor karti hai. apne kue se paani kheench kar swayam peeye - बाल गंगाधर तिलक

प्रातः काल मे उदित होने के लिए ही सूर्य संध्या काल मे अन्धकार के गर्त मे चला जाता है। अन्धकार मे जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता। गर्म हवा के झोंकों मे जाए बिना, कष्ट उठाये बिना, पैरों मे छाले पड़े बिना, स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती - pratah kaal me udit hone keliye soorya sandhya kaal me andhkar ke gart me chalaa jata hai. andhkar me jaaye bina prakash prapt nahi hota. : बाल गंगाधर तिलक

प्रातः काल मे उदित होने के लिए ही सूर्य संध्या काल मे अन्धकार के गर्त मे चला जाता है। अन्धकार मे जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता। गर्म हवा के झोंकों मे जाए बिना, कष्ट उठाये बिना, पैरों मे छाले पड़े बिना, स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती। : Pratah kaal me udit hone keliye soorya sandhya kaal me andhkar ke gart me chalaa jata hai. andhkar me jaaye bina prakash prapt nahi hota.  - बाल गंगाधर तिलक

एक बहुत प्राचीन सिद्धांत है की ईश्वर उनकी ही सहायता करता है ,जो अपनी सहायता आप करते हैं। आलसी व्यक्तियों के लिए ईश्वर अवतार नहीं लेता। वह उद्योगशील व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होता है। इसलिए कार्य करना शुरु कीजिये - ek bahut prachin siddhant hai ki ishwar unki hi sahayta karta hai jo apni sahayta apne aap karte hain, aalsi vyaktiyon ke liye koi ishwar avatarit nahi hota. wah to keval udyogsheel vyakti ki sahayta karta hai isliye aaj hi kaam kariye. : बाल गंगाधर तिलक

एक बहुत प्राचीन सिद्धांत है की ईश्वर उनकी ही सहायता करता है ,जो अपनी सहायता आप करते हैं। आलसी व्यक्तियों के लिए ईश्वर अवतार नहीं लेता। वह उद्योगशील व्यक्तियों के लिए ही अवतरित होता है। इसलिए कार्य करना शुरु कीजिये। : Ek bahut prachin siddhant hai ki ishwar unki hi sahayta karta hai jo apni sahayta apne aap karte hain, aalsi vyaktiyon ke liye koi ishwar avatarit nahi hota. wah to keval udyogsheel vyakti ki sahayta karta hai isliye aaj hi kaam kariye. - बाल गंगाधर तिलक

धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है - dharm aur vyavharik jeevan alag nahi hai. sanyas lena jeevan ka prityaag karna nahin hai. asli bhavna sirf apne liye kaam karne ki bajaay apne desh ke liye mil jul kar kaam karna hai aur agla kadam manvta ki seva karna aur fir usse agla kada ishwar kiseva karna hai. : बाल गंगाधर तिलक

धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है। : Dharm aur vyavharik jeevan alag nahi hai. sanyas lena jeevan ka prityaag karna nahin hai. asli bhavna sirf apne liye kaam karne ki bajaay apne desh ke liye mil jul kar kaam karna hai aur agla kadam manvta ki seva karna aur fir usse agla kada ishwar kiseva karna hai. - बाल गंगाधर तिलक