धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।

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धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है। : Dharm aur vyavharik jeevan alag nahi hai. sanyas lena jeevan ka prityaag karna nahin hai. asli bhavna sirf apne liye kaam karne ki bajaay apne desh ke liye mil jul kar kaam karna hai aur agla kadam manvta ki seva karna aur fir usse agla kada ishwar kiseva karna hai. - बाल गंगाधर तिलक
धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है। : Dharm aur vyavharik jeevan alag nahi hai. sanyas lena jeevan ka prityaag karna nahin hai. asli bhavna sirf apne liye kaam karne ki bajaay apne desh ke liye mil jul kar kaam karna hai aur agla kadam manvta ki seva karna aur fir usse agla kada ishwar kiseva karna hai. - बाल गंगाधर तिलक

dharm aur vyavharik jeevan alag nahi hai. sanyas lena jeevan ka prityaag karna nahin hai. asli bhavna sirf apne liye kaam karne ki bajaay apne desh ke liye mil jul kar kaam karna hai aur agla kadam manvta ki seva karna aur fir usse agla kada ishwar kiseva karna hai. | धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।

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