वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।
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vah naastik hai, jo apane aap mein vishvaas nahin rakhata hai. | वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।
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- क्या तुम नहीं अनुभव करते कि दूसरों के ऊपर निर्भर रहना बुद्धिमानी नहीं हैं। बुद्धिमान व्यक्ति को अपने ही पैरों पर दृढतापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चहिए।
- जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
- कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है; ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं।
- जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।
- शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है।
- सत्य हमेशा सत्य ही रहता हैं चाहे आप पसंद करें या ना करें।
- मान-सम्मान किसी के देने से नहीं मिलते, अपनी योग्यतानुसार मिलते हैं।
- जो तलवार चलाना जानते हुए भी अपनी तलवार को मयान में रखता है उसी को सच्ची अहिंसा कहते है।
- गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
- कठोर-से-कठोर हृदय को भी प्रेम से वश में किया जा सकता है।