सबसे महान् धर्म है, अपनी आत्मा के प्रति सच्चा बनना।
By : प्रज्ञा सुभाषित
इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है
sabse mahan dharm apni aatam ke prati sachcha banna hai. | सबसे महान् धर्म है, अपनी आत्मा के प्रति सच्चा बनना।
Related Posts
- मांसाहार मानवता को त्यागकर ही किया जा सकता है।
- नरक कोई स्थान नहीं, संकीर्ण स्वार्थपरता की और निकृष्ट दृष्टिकोण की प्रतिक्रिया मात्र है।
- स्वर्ग शब्द में जिन गुणों का बोध होता है, सफाई और शुचिता उनमें सर्वप्रमुख है।
- हम क्या करते हैं, इसका महत्त्व कम है; किन्तु उसे हम किस भाव से करते हैं इसका बहुत महत्त्व है।
- जीवन के प्रकाशवान् क्षण वे हैं, जो सत्कर्म करते हुए बीते।
- इस संसार की मोह माया में खोने से बेहतर है भगवान की महिमा में विलीन हो जाओ।
- जो व्यक्ति अपना ध्यान एक जगह केंद्रित नही कर सकता,वह अपने सपनों को भी पूरा नहीं कर सकता।
- जब तक जीवन है तब तक ईश्वर से प्रार्थना करते रहिए।
- भगवान मेरे आध्यात्मिक पिता है।
- जो व्यक्ति कभी ईश्वर से प्रार्थना ही नही करता,उसका जल्दी नष्ट होना निश्चित है।