हम कोई ऐसा काम न करें, जिसमें अपनी अंतरात्मा ही अपने को धिक्कारे।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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hum koi esa kaam na karein jisme apni antaraatma hi apne ko dhikkare. | हम कोई ऐसा काम न करें, जिसमें अपनी अंतरात्मा ही अपने को धिक्कारे।
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