अगर हम हमारे विचार प्रक्रिया के केंद्र में लाखों भारतीयों को रखते हैं, अगर हम उनके आत्म बोध के खातिर उनके कल्याण, उनके भविष्य के बारे में सोचते हैं, हम सही रास्ते पर हैं। भारत तभी बढेगा, विकास करेगा जब ये समृद्ध, विकसित होंगे। हम किसी भी गूढ़ रणनीतियों से विकसित नहीं हो सकते। हमारी क्रय शक्ति, हमारी आर्थिक ताकत, हमारे बाजार सभी इन लोगों की समृद्धि पर निर्भर करता है।
By : मुकेश अंबानी
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agar hum hamare vichar prakriya ke kendra me laakho bharteeyon ko rakhte hain,, agar hum unke aatm bodh ki khatir unke bhavishya aur kalyaan ke baare me sochte hain, to hum bilkul sahi raaste par hain. | अगर हम हमारे विचार प्रक्रिया के केंद्र में लाखों भारतीयों को रखते हैं, अगर हम उनके आत्म बोध के खातिर उनके कल्याण, उनके भविष्य के बारे में सोचते हैं, हम सही रास्ते पर हैं। भारत तभी बढेगा, विकास करेगा जब ये समृद्ध, विकसित होंगे। हम किसी भी गूढ़ रणनीतियों से विकसित नहीं हो सकते। हमारी क्रय शक्ति, हमारी आर्थिक ताकत, हमारे बाजार सभी इन लोगों की समृद्धि पर निर्भर करता है।
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- सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।
- हर जाति या राष्ट्र खाली तलवार से वीर नहीं बनता तलवार तो रक्षा-हेतु आवश्यक है, पर राष्ट्र की प्रगति को तो उसकी नैतिकता से ही मापा जा सकता है।
- एकता के बिना जनशक्ति शक्ति नहीं है जब तक उसे ठीक तरह से सामंजस्य में ना लाया जाए और एकजुट ना किया जाए, और तब यह आध्यात्मिक शक्ति बन जाती है।
- अब हर भारतीय को भूल जाना चाहिए कि वह सिख हैं, जाट है या राजपूत। उसे केवल इतना याद रखना चाहिए कि अब वह केवल भारतीय हैं जिसके पास सभी अधिकार हैं, लेकिन उसके कुछ कर्तव्य भी हैं।
- स्वतंत्र भारत में कोई भी भूख से नहीं मरेगा। अनाज निर्यात नहीं किया जायेगा। कपड़ों का आयात नहीं किया जाएगा। इसके नेता ना विदेशी भाषा का प्रयोग करेंगे ना किसी दूरस्थ स्थान, समुद्र स्तर से 7000 फुट ऊपर से शासन करेंगे। इसके सैन्य खर्च भारी नहीं होंगे, इसकी सेना अपने ही लोगों या किसी और की भूमि को अधीन नहीं करेगी। इसके सबसे अच्छे वेतन पाने वाले अधिकारी इसके सबसे कम वेतन पाने वाले सेवकों से बहुत ज्यादा नहीं कमाएंगे और यहाँ न्याय पाना ना खर्चीला होगा, ना कठिन होगा।
- सच्चे त्याग और आत्मशुद्धि के बिना स्वराज नहीं आएगा।
- यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य हैं कि वह अनुभव करे कि उसका देश स्वतन्त्र हैं और देश की स्वतंत्रता की रक्षा करना उसका कर्त्तव्य हैं।
- स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद भी यदि परतन्त्रता की दुर्गन्ध आती रहे, तो स्वतन्त्रता की सुगंध नहीं फैल सकती।
- आपके घर का प्रबंध दूसरों को सौंपा गया हो तो यह कैसा लगता है – यह आपको सोचना है जब तक प्रबंध दूसरों के हाथ में है तब तक परतन्त्रता है और तब तक सुख नहीं।
- जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता। अतः जात-पांत के, ऊँच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए।