मनुष्य एक भटका हुआ देवता है। सही दिशा पर चल सके, तो उससे बढ़कर श्रेष्ठ और कोई नहीं।

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मनुष्य एक भटका हुआ देवता है। सही दिशा पर चल सके, तो उससे बढ़कर श्रेष्ठ और कोई नहीं। : Manushya ek bhatka hua devta hai, sahi disha par chal sake to usse badhlar koi shreshta nahi hai. - प्रज्ञा सुभाषित
मनुष्य एक भटका हुआ देवता है। सही दिशा पर चल सके, तो उससे बढ़कर श्रेष्ठ और कोई नहीं। : Manushya ek bhatka hua devta hai, sahi disha par chal sake to usse badhlar koi shreshta nahi hai. - प्रज्ञा सुभाषित

manushya ek bhatka hua devta hai, sahi disha par chal sake to usse badhlar koi shreshta nahi hai. | मनुष्य एक भटका हुआ देवता है। सही दिशा पर चल सके, तो उससे बढ़कर श्रेष्ठ और कोई नहीं।

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