मद मनुष्य की वो स्थिति या दिशा है, जिसमे वह अपने ‘मूल कर्तव्य’ से भटक कर ‘विनाश’ की ओर चला जाता है।

इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है

मद मनुष्य की वो स्थिति या दिशा है, जिसमे वह अपने ‘मूल कर्तव्य’ से भटक कर ‘विनाश’ की ओर चला जाता है। : Mad manushya ki vah sthiti ya dasha hai jisme wah mool kartavya se bhatak kar vinash ki or chala jata hai. - महर्षि दयानंद सरस्वती
मद मनुष्य की वो स्थिति या दिशा है, जिसमे वह अपने ‘मूल कर्तव्य’ से भटक कर ‘विनाश’ की ओर चला जाता है। : Mad manushya ki vah sthiti ya dasha hai jisme wah mool kartavya se bhatak kar vinash ki or chala jata hai. - महर्षि दयानंद सरस्वती

mad manushya ki vah sthiti ya dasha hai jisme wah mool kartavya se bhatak kar vinash ki or chala jata hai. | मद मनुष्य की वो स्थिति या दिशा है, जिसमे वह अपने ‘मूल कर्तव्य’ से भटक कर ‘विनाश’ की ओर चला जाता है।

Related Posts