ईष्या से मनुष्य को हमेशा दूर रहना चाहिए। क्योकि ये ‘मनुष्य’ को अन्दर ही अन्दर जलाती रहती है और पथ से भटकाकर पथ भ्रष्ट कर देती है।

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ईष्या से मनुष्य को हमेशा दूर रहना चाहिए। क्योकि ये ‘मनुष्य’ को अन्दर ही अन्दर जलाती रहती है और पथ से भटकाकर पथ भ्रष्ट कर देती है। : Irshya se manushya ko door rahna chahiye kyonki yah manushya ko andar hi andar jalaati rehti hai aur pathbhrashta kar deti hai. - महर्षि दयानंद सरस्वती
ईष्या से मनुष्य को हमेशा दूर रहना चाहिए। क्योकि ये ‘मनुष्य’ को अन्दर ही अन्दर जलाती रहती है और पथ से भटकाकर पथ भ्रष्ट कर देती है। : Irshya se manushya ko door rahna chahiye kyonki yah manushya ko andar hi andar jalaati rehti hai aur pathbhrashta kar deti hai. - महर्षि दयानंद सरस्वती

irshya se manushya ko door rahna chahiye kyonki yah manushya ko andar hi andar jalaati rehti hai aur pathbhrashta kar deti hai. | ईष्या से मनुष्य को हमेशा दूर रहना चाहिए। क्योकि ये ‘मनुष्य’ को अन्दर ही अन्दर जलाती रहती है और पथ से भटकाकर पथ भ्रष्ट कर देती है।

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