सद्विचार तब तक मधुर कल्पना भर बने रहते हैं, जब तक उन्हें कार्य रूप में परिणत नहीं किया जाय।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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sadvichar tab tak madhur kalpana bhar bane rahte hain, jab tak unhe karya roop me parinit nahi kiya jata. | सद्विचार तब तक मधुर कल्पना भर बने रहते हैं, जब तक उन्हें कार्य रूप में परिणत नहीं किया जाय।
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