सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है|

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सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है| : Sach ko kahane ke hajaaron tareeke ho sakate hain aur phir bhee sach to vahee rahata hai | - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda
सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है| : Sach ko kahane ke hajaaron tareeke ho sakate hain aur phir bhee sach to vahee rahata hai | - स्वामी विवेकानन्द | Swami Vivekananda

sach ko kahane ke hajaaron tareeke ho sakate hain aur phir bhee sach to vahee rahata hai | | सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है|

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