इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये - is baat ko vyakt mat hone deejiye ki aapne kya karne ka socha hai. buddhimani se ise rahasya banaye rakhiye aur is kaam ko karne ke liye dridh bane rahiye : चाणक्य
सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले जीव, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख; इन सातों को नींद से नहीं उठाना चाहिए - sarp, raja, sher, dank maarne wale jeev, chhote bachche, doosron ke kutte aur ek moorkh- in saaton ko neend se nahi jagaan chahiye. : चाणक्य
किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना - kisi moorkh vyakti ke liye kitaabe utni hi upyogi hain jitna andhe ke liye aaina : चाणक्य
कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं - koi bhi vyakti karyo se mahan hota hai janm se nahi. : चाणक्य
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है। शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है - siksha sabse achchi mitra hai. sikshit vyakti har jagah samman pata hai. siksha saundarya aur yauvan ko paraast kar deti hai. : चाणक्य
अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए - agar saanp jahreela na ho fir bhi use khud ko zehreela dikhana chahiye. : चाणक्य
व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है | वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है - vyakti akele hi paida hota hai aur akele hi mar jata hai. wo apne achche bure karmo ka fal khud bhugtata hai aur akela hi swarg athva narak jata hai. : चाणक्य
दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है | - duniya ki sabse badi taqat purush ka vivek aur mahila ki sundarta hai. : चाणक्य
अपमानित होके जीने से अच्छा मरना है। मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है - apmanit hoke jeene se achcha marna hai. mrityu to bas ek kshan ka dukh deti hai, lekin apmaan har din jeevan me dukh deta hai. : चाणक्य
वेश्याएं निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक दुर्बलों की संगती में नहीं रहते, और पक्षी उस पेड़ पर घोंसला नहीं बनाते जिसपे फल ना हों - Vaishyaye nirdhano ke sath nahi rehti, nagrik durbalo ki sangati me nhi rahte aur pakshi us ped par ghosla nahi banate jis par fal na ho : चाणक्य