मनुष्य जीवन का पूरा विकास गलत स्थानों, गलत विचारों और गलत दृष्टिकोणों से मन और शरीर को बचाकर उचित मार्ग पर आरूढ़ कराने से होता है।

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मनुष्य जीवन का पूरा विकास गलत स्थानों, गलत विचारों और गलत दृष्टिकोणों से मन और शरीर को बचाकर उचित मार्ग पर आरूढ़ कराने से होता है। : Manushya jeevan ka poora vikas galat sthano, galat vicharo, galat drishtikono se man aur shareer ko bachakar uchit maarg par aaroodh karane se hota hai. - प्रज्ञा सुभाषित
मनुष्य जीवन का पूरा विकास गलत स्थानों, गलत विचारों और गलत दृष्टिकोणों से मन और शरीर को बचाकर उचित मार्ग पर आरूढ़ कराने से होता है। : Manushya jeevan ka poora vikas galat sthano, galat vicharo, galat drishtikono se man aur shareer ko bachakar uchit maarg par aaroodh karane se hota hai. - प्रज्ञा सुभाषित

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