लोभ वो अवगुण है, जो दिन प्रति दिन तब तक बढता ही जाता है, जब तक मनुष्य का विनाश ना कर दे।

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लोभ वो अवगुण है, जो दिन प्रति दिन तब तक बढता ही जाता है, जब तक मनुष्य का विनाश ना कर दे। : Lobh vah avgun hai jo pratidin tab tak badhta hai jab tak ki manushya ka vinaash na kar de - महर्षि दयानंद सरस्वती
लोभ वो अवगुण है, जो दिन प्रति दिन तब तक बढता ही जाता है, जब तक मनुष्य का विनाश ना कर दे। : Lobh vah avgun hai jo pratidin tab tak badhta hai jab tak ki manushya ka vinaash na kar de - महर्षि दयानंद सरस्वती

lobh vah avgun hai jo pratidin tab tak badhta hai jab tak ki manushya ka vinaash na kar de | लोभ वो अवगुण है, जो दिन प्रति दिन तब तक बढता ही जाता है, जब तक मनुष्य का विनाश ना कर दे।

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