किसी तन्त्र या संस्थान की पुनः निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है।

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किसी तन्त्र या संस्थान की पुनः निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है। : Kisee tantr ya sansthaan kee punah ninda kee jae to vah dheeth ban jaata hai aur phir sudharane kee bajaay nindak kee hee ninda karane lagata hai. - सरदार वल्लभ भाई पटेल | Sardar Vallabhbhai Patel
किसी तन्त्र या संस्थान की पुनः निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है। : Kisee tantr ya sansthaan kee punah ninda kee jae to vah dheeth ban jaata hai aur phir sudharane kee bajaay nindak kee hee ninda karane lagata hai. - सरदार वल्लभ भाई पटेल | Sardar Vallabhbhai Patel

kisee tantr ya sansthaan kee punah ninda kee jae to vah dheeth ban jaata hai aur phir sudharane kee bajaay nindak kee hee ninda karane lagata hai. | किसी तन्त्र या संस्थान की पुनः निंदा की जाए तो वह ढीठ बन जाता है और फिर सुधरने की बजाय निंदक की ही निंदा करने लगता है।

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