क़ानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए।
By : डॉ॰ बी॰ आर॰ अम्बेडकर
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kanoon aur vyavastha rajneetik shareer ki dawaa hai aur jab rajnitik sharir beemar pade to yah dawaa avashya leni chahiye. | क़ानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा ज़रूर दी जानी चाहिए।
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- यह ज़रूरी है कि हम अपना दृष्टिकोण और ह्रदय जितना संभव हो अच्छा करें. इसी से हमारे और अन्य लोगों के जीवन में, अल्पकाल और दीर्घकाल दोनों में ही खुशियाँ आयेंगी।
- लोग और उनके धर्म; सामाजिक नैतिकता के आधार पर सामाजिक मानकों द्वारा परखे जाने चाहिए. अगर धर्म को लोगों के भले के लिये आवश्यक वस्तु मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा।
- इतिहास बताता है कि जहाँ नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है . निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल ना लगाया गया हो।
- न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।
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- एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है।जिसकी आवश्यकता है वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।
- मैं किसी समुदाय की प्रगति महिलाओं ने जो प्रगति हासिल की है उससे मापता हूँ।
- हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता।
- स्वप्न विचारों में परिवर्तित होते हैं और विचार कार्य में परिणत होते हैं।
- भगवान केवल उन्हीं लोगों की मदद करते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं।