कबीर मन फूल्या फिरै, करता हूँ मैं घ्रंम | कोटि क्रम सिरि ले चल्या, चेत न देखै भ्रम ||
By : कबीर
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kabeer man phoolya phirai, karata hoon main ghramm | koti kram siri le chalya, chet na dekhai bhram || | कबीर मन फूल्या फिरै, करता हूँ मैं घ्रंम | कोटि क्रम सिरि ले चल्या, चेत न देखै भ्रम ||
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