हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, और यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।

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हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, और यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है। : Hamari khushi ka srota hamare bheetar hi hai aur yah shrot doosro ke prati samvedna se aata hai. - दलाई लामा
हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, और यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है। : Hamari khushi ka srota hamare bheetar hi hai aur yah shrot doosro ke prati samvedna se aata hai. - दलाई लामा

hamari khushi ka srota hamare bheetar hi hai aur yah shrot doosro ke prati samvedna se aata hai. | हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, और यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है।

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