हम धर्म और चिंतन के बिना रह सकते हैं पर मानवीय प्रेम के बिना नहीं।
By : दलाई लामा
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hum dharma aur hintan ke bina rah sakte hain lekin manveey prem ke bina nahi | हम धर्म और चिंतन के बिना रह सकते हैं पर मानवीय प्रेम के बिना नहीं।
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- प्रेम और करुणा आवश्यकताएं हैं, विलासिता नहीं उनके बिना मानवता जीवित नहीं रह सकती।
- डर महसूस होने पर साहस ही उससे सामना करना सिखाता है।
- कभी-कभी कुछ कह कर लोग अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं और कभी-कभी लोग चुप रहकर भी अपनी एक प्रभावशाली छाप बना देते हैं।
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- विश्वास रखकर आलस्य छोड़ दीजिये, वहम मिटा दीजिये, डर छोड़िये, फूट का त्याग कीजिये, कायरता निकाल डालिए, हिम्मत रखिये, बहादुर बन जाइए, और आत्मविश्वास रखना सीखिए। इतना कर लेंगे तो आप जो चाहेंगे, अपने आप मिलेगा।
- हमें घबराहट में कभी कोई गलत कार्य नहीं करना चाहिए।
- सत्ताधीशों की सत्ता उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जाती है, पर महान देशभक्तों की सत्ता मरने के बाद काम करती है, अतः देशभक्ति अर्थात् देश-सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।
- अपने आप को जानिए की आप कौन है।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
- मनुष्य चाहे तो प्रेम से सब कुछ हासिल कर सकता है।