ज्ञानदान से बढ़कर आज की परिस्थितियों मेंं और कोई दान नहीं।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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gyaan daan se badhkar aaj ki paristhiti me koi bada daan nahi hai. | ज्ञानदान से बढ़कर आज की परिस्थितियों मेंं और कोई दान नहीं।
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- जीवन की सफलता के लिए यह नितांत आवश्यक है कि हम विवेकशील और दूरदर्शी बनें।
- मनुष्य बुद्धिमानी का गर्व करता है, पर किस काम की वह बुद्धिमानी-जिससे जीवन की साधारण कला हँस-खेल कर जीने की प्रक्रिया भी हाथ न आए।
- जीवन उसी का धन्य है जो अनेकों को प्रकाश दे। प्रभाव उसी का धन्य है जिसके द्वारा अनेकों में आशा जाग्रत हो।
- संसार में रहने का सच्चा तत्त्वज्ञान यही है कि प्रतिदिन एक बार खिलखिलाकर जरूर हँसना चाहिए।
- पैसो का लोभ ही साड़ी बुराइयों की जड़ है|
- इस संसार की मोह माया में खोने से बेहतर है भगवान की महिमा में विलीन हो जाओ।
- मनुष्य को हमेशा स्त्यवादी रहना चाहिए, क्यों की दुनिया तो आपको झूट बोलने पर मजबूर करती ही है।
- जो व्यक्ति अपना ध्यान एक जगह केंद्रित नही कर सकता,वह अपने सपनों को भी पूरा नहीं कर सकता।
- जब तक जीवन है तब तक ईश्वर से प्रार्थना करते रहिए।
- जो व्यक्ति कभी ईश्वर से प्रार्थना ही नही करता,उसका जल्दी नष्ट होना निश्चित है।