आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है - aatmbal, saamartya deta hai aur saamarthya vidya pradaan karti hai. vidya sthirta pradaan karti hai aur sthirata vijaayki or le jaati hai. : छत्रपति शिवाजी

आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है। : Aatmbal, saamartya deta hai aur saamarthya vidya pradaan karti hai. vidya sthirta pradaan karti hai aur sthirata vijaayki or le jaati hai. - छत्रपति शिवाजी

अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है - apne aatmbal ko jagaane wala, khud ko pahchanne wala, aur manav jaati ke kalyaan ki soch rakhne wala poore vishva par raaj kar sakt hai. : छत्रपति शिवाजी

अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है। : Apne aatmbal ko jagaane wala, khud ko pahchanne wala, aur manav jaati ke kalyaan ki soch rakhne wala poore vishva par raaj kar sakt hai. - छत्रपति शिवाजी

अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती - angoorko jab tak pairo tab tak wah meethi madira nahi banti, waise hi manushya jab tak kashta mein nahi pistaa tab tak uske andar ki sarvottam pratibha bahar nahi aati. : छत्रपति शिवाजी

अंगूर को जब तक न पेरो वो मीठी मदिरा नही बनती, वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वौत्तम प्रतिभा बाहर नही आती। : Angoorko jab tak pairo tab tak wah meethi madira nahi banti, waise hi manushya jab tak kashta mein nahi pistaa tab tak uske andar ki sarvottam pratibha bahar nahi aati. - छत्रपति शिवाजी