जरूरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में, वीरता हो, वीरता तो विजय में है।
By : छत्रपति शिवाजी
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jaroori nahi ki vipatti ka saamna, dushman ke sammukh se hi karne mein veerata hai, veeerta to vijay mein hai. | जरूरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में, वीरता हो, वीरता तो विजय में है।
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- आत्मबल, सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य, विद्या प्रदान करती है। विद्या, स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता, विजय की तरफ ले जाती है।
- कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है; क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ी उसी का अनुसरण करती है।
- अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
- प्रतिशोध मनुष्य को जलाती रहती है, संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक उपाय होता है।
- जीवन में सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योंकि दिन और रात की तरह अच्छे दिनों को भी बदलना पड़ता है।
- स्वप्न विचारों में परिवर्तित होते हैं और विचार कार्य में परिणत होते हैं।
- भगवान केवल उन्हीं लोगों की मदद करते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं।
- ईश्वर की संतान के रूप में, मेरे साथ जो कुछ भी घटित हो सकता है, मैं उससे बड़ा हूँ।
- यादें और भावनाएं यातना का सबसे बड़ा रूप हो सकती हैं।
- सच तो यह है कि किसी व्यवस्था के लाभार्थियों से उसे नष्ट करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।