जब तक मनुष्य का लक्ष्य भोग रहेगा, तब तक पाप की जड़ें भी विकसित होती रहेंगी।

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जब तक मनुष्य का लक्ष्य भोग रहेगा, तब तक पाप की जड़ें भी विकसित होती रहेंगी। : Jab tak manushya ka lakshya bhog rahega tab tak paap ki jadein bhi viksit hoti rahengi. - प्रज्ञा सुभाषित
जब तक मनुष्य का लक्ष्य भोग रहेगा, तब तक पाप की जड़ें भी विकसित होती रहेंगी। : Jab tak manushya ka lakshya bhog rahega tab tak paap ki jadein bhi viksit hoti rahengi. - प्रज्ञा सुभाषित

jab tak manushya ka lakshya bhog rahega tab tak paap ki jadein bhi viksit hoti rahengi. | जब तक मनुष्य का लक्ष्य भोग रहेगा, तब तक पाप की जड़ें भी विकसित होती रहेंगी।

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