पादरी, मौलवी और महंत भी जब तक एक तरह की बात नहीं कहते, तो दो व्यक्तियों में एकमत की आशा की ही कैसे जाए?

इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है

पादरी, मौलवी और महंत भी जब तक एक तरह की बात नहीं कहते, तो दो व्यक्तियों में एकमत की आशा की ही कैसे जाए? : Padri maulwi aur mahant bhi jab tak ek jaisi baat nahi karte to do vyaktiyo mein ek-mat ki apeksha kaise ki jaaye - प्रज्ञा सुभाषित
पादरी, मौलवी और महंत भी जब तक एक तरह की बात नहीं कहते, तो दो व्यक्तियों में एकमत की आशा की ही कैसे जाए? : Padri maulwi aur mahant bhi jab tak ek jaisi baat nahi karte to do vyaktiyo mein ek-mat ki apeksha kaise ki jaaye - प्रज्ञा सुभाषित

padri maulwi aur mahant bhi jab tak ek jaisi baat nahi karte to do vyaktiyo mein ek-mat ki apeksha kaise ki jaaye | पादरी, मौलवी और महंत भी जब तक एक तरह की बात नहीं कहते, तो दो व्यक्तियों में एकमत की आशा की ही कैसे जाए?

Related Posts