मस्तिष्क में जिस प्रकार के विचार भरे रहते हैं वस्तुत: उसका संग्रह ही सच्ची परिस्थिति है। उसी के प्रभाव से जीवन की दिशाएँ बनती और मुड़ती रहती हैं।
By : प्रज्ञा सुभाषित
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mastishka me jis prakar ke vichar bhare rahte hain vastutah unka sangrah hi sachchi paristhiti hai unhi ke prabhav se jeevan ki dishaye banti aur mudti hain. | मस्तिष्क में जिस प्रकार के विचार भरे रहते हैं वस्तुत: उसका संग्रह ही सच्ची परिस्थिति है। उसी के प्रभाव से जीवन की दिशाएँ बनती और मुड़ती रहती हैं।
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