अपनी दुष्टताएँ दूसरों से छिपाकर रखी जा सकती हैं, पर अपने आप से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता।
By : प्रज्ञा सुभाषित
इमेज का डाउनलोड लिंक नीचे दिया गया है
apni dushtatayen, doosro se chhipakar rakhi ja sakti hain par apne aap se kuchh bhi chhipaya nahi ja sakta | अपनी दुष्टताएँ दूसरों से छिपाकर रखी जा सकती हैं, पर अपने आप से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता।
Related Posts
- बड़प्पन बड़े आदमियों के संपर्क से नहीं, अपने गुण, कर्म और स्वभाव की निर्मलता से मिला करता है।
- अज्ञानी वे हैं, जो कुमार्ग पर चलकर सुख की आशा करते हैं।
- बुराई मनुष्य के बुरे कर्मों की नहीं, वरन् बुरे विचारों की देन होती है।
- संसार में हर वस्तु में अच्छे और बुरे दो पहलू हैं, जो अच्छा पहलू देखते हैं वे अच्छाई और जिन्हें केवल बुरा पहलू देखना आता है वह बुराई संग्रह करते हैं।
- जो दूसरों को धोखा देना चाहता है, वास्तव में वह अपने आपको ही धोखा देता है।
- कर्तव्यनिष्ठ पुरूष कभी निराश नहीं होता। अतः जब तक जीवित रहें और कर्तव्य करते रहें, तो इसमें पूरा आनन्द मिलेगा।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।
- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं, यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो।
- सत्य के मार्ग पर चलने हेतु बुरे का त्याग अवश्यक है, चरित्र का सुधार आवश्यक है।