अपनी दुष्टताएँ दूसरों से छिपाकर रखी जा सकती हैं, पर अपने आप से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता।

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अपनी दुष्टताएँ दूसरों से छिपाकर रखी जा सकती हैं, पर अपने आप से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता। : Apni dushtatayen, doosro se chhipakar rakhi  ja sakti hain par apne aap se kuchh bhi chhipaya nahi ja sakta - प्रज्ञा सुभाषित
अपनी दुष्टताएँ दूसरों से छिपाकर रखी जा सकती हैं, पर अपने आप से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता। : Apni dushtatayen, doosro se chhipakar rakhi  ja sakti hain par apne aap se kuchh bhi chhipaya nahi ja sakta - प्रज्ञा सुभाषित

apni dushtatayen, doosro se chhipakar rakhi ja sakti hain par apne aap se kuchh bhi chhipaya nahi ja sakta | अपनी दुष्टताएँ दूसरों से छिपाकर रखी जा सकती हैं, पर अपने आप से कुछ भी छिपाया नहीं जा सकता।

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