वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
By : गौतम बुद्ध
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wah jo pachaas logo se prem karta hai uske pachaas sankat hain aur jo kisi se prem nahi karta use koi sankat nahin. | वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
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- पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
- शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।
- तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे।
- अपनी मुक्ति के लिए काम करो. दूसरों पर निर्भर मत रहो।
- अपने बराबर या फिर अपने से समझदार व्यक्तियों के साथ सफ़र कीजिये, मूर्खो के साथ सफ़र करने से अच्छा है अकेले सफ़र करना।
- आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से इर्ष्या कीजिये। जो दूसरों से इर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
- मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है; मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है।
- सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
- जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
- तीन चीजें जादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य।