हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।
By : गौतम बुद्ध
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har insaan apne swasthya ya beemari ka lekhak hai. | हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।
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- अपनी मुक्ति के लिए काम करो. दूसरों पर निर्भर मत रहो।
- पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।
- अपने बराबर या फिर अपने से समझदार व्यक्तियों के साथ सफ़र कीजिये, मूर्खो के साथ सफ़र करने से अच्छा है अकेले सफ़र करना।
- आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से इर्ष्या कीजिये। जो दूसरों से इर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
- मैं कभी नहीं देखता की क्या किया जा चुका है; मैं हमेशा देखता हूँ कि क्या किया जाना बाकी है।
- सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
- जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
- अधिक संपत्ति नहीं, बल्कि सरल आनंद को खोजें। बड़े भाग्य नहीं, बल्कि परम सुख को खोजें।
- आप आज जो करते हैं उस पर भविष्य निर्भर करता है।
- अतीत पे धयान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो।